SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 140
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५६० m १२० ६३७ १२२ ६४० ६४१ १२३ १२५ सूत्रांक पृष्ठांक सूत्रांक पृष्ठांक * राहु विमान के पांच वर्ण ८५ ५८७ सर्वाभ्यन्तर और सर्वबाह्य नक्षत्र मण्डलों की । राहु कम प्ररूपण ५८७ लम्बाई-चौड़ाई और परिधि ११२ ६३३ चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण का प्ररूपण ५८८ सर्वाभ्यन्तर और सर्वबाह्य मण्डलों के प्रत्येक नक्षत्र वर्णन ८८-१२६ ५६०-६५४ मुहूर्त में नक्षत्र की गति का प्ररूपण ११३ -नक्षत्रों के नाम चन्द्रमण्डलों से मिले हुए नक्षत्र मण्डल ११४ ५६० प्रत्येक मुहूर्त में नक्षत्र द्वारा मण्डल के भागों : नक्षत्रों का आवलिकानिपात और योग में गमन जम्बूद्वीप में व्यवहार योग्य नक्षत्र ६. ५६१ ११५ नक्षत्रों के मण्डलों का सीमा विष्कम्भ -नक्षत्रों के गोत्र ६१ ५६१ नक्षत्रों का सीमा-विष्कम्भ समांश नक्षत्रों के देवता ५६३ ११७ चन्द्रमण्डल में कृत्तिका नक्षत्र की गति नक्षत्रों के संस्थान ५९६ ६३६ नक्षत्रों के ताराओं की संख्या चन्द्रमण्डल में अनुराधा नक्षत्र की गति नक्षत्रों के दिशा द्वार चन्द्र के पृष्ठ भाग पर गति करने वाले नौ नक्षत्र हैं • नक्षत्रों के कुल, उपकुल और कुलोपकुल ६३६ बारह पूर्णिमाओं में कुलादि नक्षत्रों की योग नक्षत्रों के स्वरूप का प्ररूपण १२१ संख्या नक्षत्रों का चन्द्र के साथ योगकाल बारह अमावस्याओं में कुलादि नक्षत्रों की योग नक्षत्रों का सूर्य के साथ योगकाल संख्या नक्षत्रों का चन्द्र के साथ योग का प्रारम्भ काल १२४ ६४३ • नक्षत्रों का पूर्वादिभागों से योग क्षेत्र और काल नक्षत्रों के भोजन और कार्य-सिद्धि प्रमाण ज्ञान वृद्धि करने वाले दस नक्षत्र ६५३ नक्षत्रों का आभ्यन्तरादि संचरण ११०० ६२१ ताराओं का अणुत्व-तुल्यत्व ६५३ • नक्षत्रों का चन्द्र के साथ योग ताराओं के अबाधा अन्तर का प्ररूपण ६५४ चन्द्र के मार्ग में योग करने वाले नक्षत्रों की ऊर्ध्व लोक वर्णन-१-७८६५५-६६० संख्या ऊर्ध्वलोक क्षेत्रलोक का पन्द्रह प्रकार से प्ररूपण १ ६५५ • बारह पूर्णिमाओं में चन्द्र के साथ योग करने ऊर्वलोक क्षेत्रलोक के संस्थान का प्ररूपण ६५५ वाले नक्षत्रों की संख्या ऊर्ध्वलोक क्षेत्रलोक में जीव तथा अजीव के बारह अमावस्याओं में नक्षत्रों के योग की देशों और प्रदेशों का प्ररूपण संख्या ऊर्ध्वलोक क्षेत्रलोक के एक आकाश प्रदेश बारह पूर्णिमाओं और अमावस्याओं में चन्द्र के में जीव तथा अजीव के देश और प्रदेशों साथ नक्षत्रों का योग का प्ररूपण ऊर्ध्व लोक के आयाम-मध्य का प्ररूपण वर्षा, हेमन्त और ग्रीष्म के दिन-रात पूर्ण करने वैमानिक देवों के स्थान वाले नक्षत्रों की संख्या ६२८ सौधर्मकल्प के देवों के स्थान नक्षत्र मण्डलों की संख्या सौधर्मेन्द्र वर्णक आभ्यन्तर और बाह्य नक्षत्र मण्डलों का अन्तर १०८ -नक्षत्र मण्डलों का अन्तर ईशानकल्प देवों के स्थान ईशानेन्द्र वर्णक नक्षत्र मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई, परिधि और सनत्कुमार देवों के स्थान मोटाई ६३३ सनत्कुमारेन्द्र वर्णक मन्दर पर्वत से सर्वाभ्यन्तर और नक्षत्र मण्डल माहेन्द्र देवों के स्थान का अन्तर १११ ६३३ माहेन्द्र वर्णक ६६२ ६१६ १२७ १२८ १०१ ६२२ ६२४ ६५६ ६५७ Mmmm More Know on GK
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy