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________________ ( ११२ ) १८ ६७६ ६७६ २१ ن ६६६ ن ६८३ ६८४ सूत्रांक पृष्ठांक सूत्रांक पृष्ठांक ब्रह्मलोक देवों के स्थान तमस्काय के नाम ५२. ६७८ब्रह्म देवेन्द्र वर्णक तमस्काय के परिणामित्व का प्ररूपण ५३ ६७६. लान्तक देवों के स्थान ६६३ तमस्काय में सभी प्राणादि की पूर्वोत्पत्ति' का लान्तक देवेन्द्र वर्णक प्ररूपण महाशुक्र देवों के स्थान ६६४ विमानों के प्रकार महाशुक्र देवेन्द्र वर्णक ६६४ विमान पृथ्वियों के प्रतिष्ठान सहस्रार देवों के स्थान ६६५ वैमानिक विमानों के संस्थान ६८० सहस्रार देवेन्द्र वर्णक २२ ६६५ विमान पृथ्वियों का बाहल्य ६८१ आनत-प्राणत देवों के स्थान ६६५ वैमानिक विमानों की महत्ता ६८१ प्राणत देवेन्द्र वर्णक वैमानिक विमानों के उपादान ६८२ आरण-अच्युत देवों के स्थान वैमानिक विमानों के वर्ण ६८२ अच्युत देवेन्द्र वर्णक ६६७ वैमानिक विमानों के गंध ६८३ ग्रंवेयक देवों के स्थान २७ वैमानिक विमानों के स्पर्श ६८३.. अनुत्तरोपपातिक देवों के स्थान ६६६ वैमानिक विमानों का आयाम-विष्कम्भ और लोकान्तिक देव विमानों का प्ररूपण ६७० परिधि कृष्णराजियों की संख्या और स्थानों का प्ररूपण ३० ६७१ वैमानिक विमानों की प्रभा कृष्णराजियों के आयाम-विष्कम्भ का प्ररूपण ३१ ६७२ वैमानिकों के विमानों की ऊँचाई कृष्णराजियों में "गृह" आदि के अभाव का वैमानिक विमानों के प्राकारों की ऊंचाई. ६८४ प्ररूपण ६७३ वैमानिकों के विमानों में प्रस्तट कृष्णराजियों में देवकृत मेघ आदि का अस्तित्व ३४ ६७३ विमान कुछ ऊँचे हैं और कुछ नीचे हैं. ६६ ६८५. कृष्णराजियों में अप्कायिकों के अभाव का प्ररूपण ३५ ६७३ प्रथम प्रस्तट में विमान ६८६ कृष्णराजियों में चन्द्र आदि के अभाव का प्ररूपण ३६ विमान की बाहा में भौम भवन ६८६ कृष्णराजियों के वर्ण का प्ररूपण विमानावास संख्या ७२ कृष्णराजियों के नाम पारियानिक विमान कृष्णराजियों के परिणामत्व का प्ररूपण पारियानिक विमानों का आयाम-विष्कम्भ कृष्णराजियों में सभी प्राणियों की पूर्वोत्पत्ति शक्र के लोकपालों के विमान ६८७. का प्ररूपण शक्रादि इन्द्रों के और सोमादि लोकपालों के तमस्काय के स्वरूप का प्ररूपण ६७५ उत्पात पर्वत ६८६. तमस्काय की उत्पत्ति और समाप्ति का प्ररूपण ६७५ सिद्धस्थान परिज्ञा ७७ ६८६ तमस्काय के संस्थान का प्ररूपण सिद्धस्थान तगस्काय की चौड़ाई और परिधि का प्ररूपण ४४ ६७६ काल लोक वर्णन-१-६२ ६९१-७३६ तमस्काय की महानता का प्ररूपण ६७६ काल समवतार ६६१ तमस्काय में घर ग्राम आदि के अभाव का प्ररूपण ४६ ६७७ काल के भेदों का प्ररूपण ६६१. चार प्रकार के देवों द्वारा तमस्काय की रचना ४७ ६७७ काल के चार भेदों का प्ररूपण ६६२ तमस्काय में देवकृत मेघ आदि का प्ररूपण ६७७ प्रमाण काल का प्ररूपण ६६२ तमस्काय में दृश्य पृथ्वीकाय और तेजस्काय के जघन्य और उत्कृष्ट पौरुषी अभाव की प्ररूपण ६७८ दिन और रात्रि की समान पौरुषी तमस्काय में चन्द्र सुर्यादि के अभाव का प्ररूपण ५० ६७८ यथायुनिवत्तिकाल का प्रख्पण. तमस्काय के वर्ण की प्ररूपणा मरणकाल प्ररूपणा ६६५. ६७४ ६७४ ६७५ ६७५ ६७६ ७८ ४६ ६६४ ६६४ ६७८
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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