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________________ 9 IS S ५०२ IS ५०३ ८३४७० ५०४ ५०५ ५०६ आ is 950 ०. is w ४७६ ( १०६ ) सूत्रांक पृष्ठांक सूत्रांक पृष्ठांक - चन्द्रमण्डलों की संख्या जम्बूद्वीप में सूर्य वर्तमान क्षेत्र को उद्योतित चन्द्रमण्डल का प्रमाण करते हैं पन्द्रह चन्द्रमण्डलों का अवगाहन क्षेत्र ४६६ जम्बूद्वीप में सूर्य वर्तमान क्षेत्र को प्रकाशित * प्रत्येक चन्द्रमण्डल का अन्तर करते हैं .. सर्व आभ्यंतर और सर्व बाह्य चन्द्रमण्डलों का जम्बूद्वीप में सूर्यों का ताप क्षेत्र प्रमाण अन्तर सूर्य के ताप-क्षेत्र की संस्थिति मन्दर पर्वत से सर्व आभ्यन्तर और सर्व बाह्य तापक्षेत्र संस्थिति की दो बाहाये चन्द्रमण्डलों का व्यवधान रहित अन्तर ९८४ तापक्षेत्र संस्थिति की परिधि . सर्व आभ्यन्तर और बाह्य चन्द्रमण्डलों का तापक्षेत्र और अन्धकार क्षेत्र के आयामादि का १३ ५०७ आयाम-विष्कम्भ तथा परिधि ९८५ ४७१ प्ररूपण - सर्व आभ्यन्तर और बाह्य चन्द्रमण्डलों में चन्द्र जम्बूद्वीप में सूर्यों की क्षेत्रों में क्रिया प्ररूपण १४ ५०८ ___ की एक मुहूर्त की गति का प्रमाण १८६ जम्बूद्वीप में सूर्य दूर और समीप किस प्रकार • प्रत्येक मुहूर्त में मण्डल के भागों में चन्द्र की दिखाई देते हैं गति का प्ररूपण पौरुषी-छाया उत्पत्ति • योगों का चन्द्र के साथ योग प्ररूपण ४७६ पौरुषी-छाया का निष्पादन चन्द्र का पूर्णिमाओं में योग पौरुषी-छाया का निवर्तन चन्द्र का अमावस्याओं में योग ४७८ पौरुषी-छाया का प्रमाण - जम्बूद्वीप के चन्द्रों के चन्द्रद्वीप ९६१ ४७९ सूर्य मण्डलों की संख्या ५१७ । चन्द्रद्वीपों के नाम का हेतु ६६२ ४७६ जम्बूद्वीप में सूर्यमण्डलों की संख्या २२ ५१८ - चन्द्रा राजधानियों का प्ररूपण ९९३ ४८० लवण समुद्र में सूर्य-मण्डलों की संख्या - सूर्य-चन्द्र और नक्षत्रों से अविरहित-विरहित निषध और नीलवंत पर्वत पर सूर्यमण्डलों तथा सामान्य चन्द्रमंडलों की संख्या ९६४ ४८० की संख्या का प्ररूपण ५१८ • सूर्य वर्णन सूर्यों की एक दूसरे से अन्तर गति ६६५-५१ ४८१-५५८ ५१८ सूर्यों के संचरण क्षेत्र सूर्य शब्द का विशिष्टार्थ ९६५ ४८२ सर्व आभ्यन्तर और बाह्य सूर्यमण्डलों का - सूर्य के स्वरूप अन्वयार्थ-प्रभा-छाया और व्यवधान रहित अन्तर २७ ५२३ ___ लेश्याओं का शुभत्व सूर्यमण्डल का आयाम-विष्कम्भ और बाहल्य २८ ५२३ - सूर्य के उदयास्त को लेकर अन्तर, प्रकाश, सूर्य के सर्वमण्डलों का बाहल्य, आयाम-विष्कम्भ क्षेत्रादि का प्ररूपण ९९७ और परिधि २६ ५२३ - लवण समुद्र में सूर्योदयादि का प्ररूपण ६६८ सर्व सूर्य मण्डलों का बाहल्य, अन्तर और मार्ग · धातकीखण्ड में सूर्योदयादि की प्ररूपणा ___६६६ प्रमाण ३० ५२७ - कालोद समुद्र में सूर्योदय आदि का प्ररूपण १००० सूर्यमण्डल का आयाम-विष्कम्भ, परिधि और . आभ्यन्तर पुष्करार्ध में सूर्योदयादि का प्ररूपण १ . सूर्य की उदय व्यवस्था ३१ २ बाहल्य ५२८ ४८७ - सूर्य के ओज (प्रकाश) की संस्थिति (एक सूर्यमण्डलों का आयाम-विष्कम्भ-परिधि और रूप में रहने की सीमा) ३ ४६३ मण्डलों के विष्कम्भ की हानि-वृद्धि सूर्य के प्रकाशित पर्वत ४ ४६८ प्रत्येक सूर्यमण्डल का अन्तर - सूर्य के तेज को अवरुद्ध करने वाले पर्वत ४६६ मन्दर पर्वत से सूर्यमण्डलों का अन्तर और ६. जम्बूद्वीप में सूर्यों की गति क्षेत्र का प्ररूपण मण्डलों में गति की हानि-वृद्धि ३४ ५३० ० xxxxxxxx or or www जी GR W० ० ० ५२१ ४८२ л ллллл G ० ३२
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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