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________________ ज्योतिष्क निरूपण ज्योतिष्कों का गणित सर्वज्ञ कथित है। ज्योतिषकों की विशेष गति से मनुष्यों को दुख होता है पाँच प्रकार के ज्योतिषिक ज्योतिषी देवों के स्थान चन्द्र-सूर्य ग्रह-नक्षत्र और तारा विमानों के संस्थान मनुष्य क्षेत्र में चन्द्र-सूर्य ग्रह-नक्षत्र और ताओं का परिमाण सूत्रांक पृष्ठांक २५-११२८ ४२८-६५४ ६२५ ४२८ जम्बूद्वीप में ज्योतिष्क देव लवण समुद्र में ज्योतिष्क देव धातकीखण्डद्वीप में ज्योतिष्क देव कालोद समुद्र में ज्योतिष्क देब पुष्करवरद्वीप में ज्योतिष्क देव आभ्यन्तर पुष्करार्ध में ज्योतिष्क देव पुष्करोद समुद्र में ज्योतिष्क देव मनुष्य क्षेत्र में पोतिष्क देव सुख २६ ६२७ ६२८ ६२६ ६३० ३१ ६३२ ६३३ ६३४ ६३५ ६३६ ६३७ ६३८ ६३६ ६४० वरवरादि द्वीप-समूहों में ज्योतिष्क देव रुचकादि द्वीप समुद्रों में ज्योतिष्कदेव देवादि द्वीप समुद्रों में ज्योतिष्क देव ज्योतिष्कों का अल्प- बहुत्व मन्दर पर्वत से ज्योतिष्कों का अन्तर लोकान्त से ज्योतिष्कों का अन्तर चन्द्र-सूर्य आदि की भूभाग से ऊँचाई चन्द्र-सूर्य ग्रह-नक्षत्र ओर तारा-विमानों का आयाम निष्कम्भ परिधि और मोटाई चन्द्र-सूर्य ग्रह-नक्षत्र और तारा विमानवाहक देवों की संख्या ६४७ चन्द्र-सूर्य ग्रह नक्षत्र तथा तारारूप आदि देवों के काम भोग ६४८ चन्द्र-सूर्य ग्रह-नक्षत्र ताराबों की अयमहिषियों और उनके दिव्य-काम-भोग ज्योतिष्कदेवों की गति का प्रमाण चन्द्र-सूर्य ग्रह-नक्षत्र और ताराकों की गति का ६४१ ६४२ ४३ ६४४ ६४५ ९४६ ૨૪૨ ६५० (१०) प्ररूपण ६५१ ज्योतिष्कों की अल्प या महऋद्धि का प्ररूपण ६५२ ६५३ ज्योतिष्कों के पिटक ज्योतिष्कों की पंक्तियाँ ६५४ ज्योतिष्कों के मण्डल ज्योतिष्कों का मण्डल संक्रमण अनवस्थित और अवस्थित ज्योतिष्क ४२८ द्वीप समूहों के ज्योतिष्कों की संख्या जानने की ४२६ विधि ४२६ ४३१ ४३२ ४३३ ४३४ ४३५ ४३५ ४३६ ४३७ ४३८ ४३६ ४४० ४४० ४४० ४४१ ४४१ ४४२ ४४२ ४४५ ४४७ ४५३ चन्द्र-सूर्य ग्रह और नक्षत्रों की गति युक्तता चन्द्र-सूर्य ग्रह और गदात्रों का योग चन्द्र-सूर्य और नक्षत्रों की विशेष गति का काल ४५४ ४५६ प्ररूपण चन्द्र का नक्षत्रों से योग युक्त होने पर उनकी गति का काल प्ररूपण सूर्य का नक्षत्रों से योग युक्त होने पर उनकी गति का काल प्ररूपण सूर्य का ग्रह से योग युक्त होने पर उसकी गति का काल प्ररूपण प्रत्येक अहोरात्र में चन्द्र सूर्य और नक्षत्रों की मण्डल गति प्रत्येक मण्डल में चन्द्र-सूर्य और नक्षत्र कितने अहोरात्र गति करता है प्रत्येक युग में चन्द्र-सूर्य और नक्षत्रों की मण्डल गति चन्द्रमास में चन्द्र-सूर्य और नक्षत्रों की मण्डल गति संख्या आदित्यमास में चन्द्र-सूर्य और नक्षत्रों की मण्डल गति संख्या नक्षत्रमास में चन्द्र-सूर्य और नक्षत्रों की मण्डल गति ऋतुमास में चन्द्र-सूर्य और नक्षत्रों की मण्डल गति संख्या अभिवर्धित मास में चन्द्र-सूर्य और नक्षत्रों की मण्डल गति संख्या सूत्रांक ६५५ ६५६ ६५७ ६५८ ६५६ ६६० ६६१ ६३ ૨૬૪ ६६५ ६६६ ६६७ ६६८ ६६६ ६७० ६७१ ६७२ चन्द्रवर्णन शशि शब्द का विशिष्टार्थ जम्बूद्वीप में चन्द्रमाओं का उदयास्त प्ररूपण लवणसमुद्र, धातकीखण्ड, कालोद समुद्र, पुष्करार्ध में चन्द्रमाओं के उदयास्त का प्ररूपण चन्द्र की हानि - वृद्धि ४५६ ४५७ ४५७ चन्द्र की वृद्धि हानि ४५७ चन्द्रिका और अन्धकार आधिक्य के कारण पृष्ठांक ४५८ ४५८ ४५८ ६७५ ६७६ ६७७ ६७८ ४५८ ४५६ ૪૫૨ ४६० ४६१ ४६१ ४६१ ४६१ ४६२ ४६२ ४६३ ४६३ ४६३ ६७३ ४६४ ६७४-६६४ ४६४-४८१ ६७४ ४६५ ४६५ ६७५ ४६४ ४६५ ४६६ ४६७ ४६७
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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