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________________ सोवर द्वीप क्षोदवर द्वीप का संस्थान क्षोदवर द्वीप के नाम का हेतु क्षोदवर द्वीप की नित्यता क्षोतोद समुद्र क्षोतोद समुद्र का संस्थान क्षोतोद समुद्र के नाम का हेतु खोदोद समुद्र की नित्यता नंदीश्वर द्वीप नन्दीश्वर द्वीप का संस्थान नन्दीश्वर द्वीप के नाम का हेतु नन्दीश्वर द्वीप में चार अंजनक पर्वत पूर्वी अंजनक पर्वत पुष्करणियों में दधिमुख पर्वत दक्षिणी अंजनक पर्वत पश्चिमी अंजनक पर्वत उत्तरी अंजनक पर्वत नन्दीश्वर द्वीप की नित्यता नन्दीश्वर में चार रतिकर पर्वत उत्तर पूर्व दिशा में चार रतिकर पर्वत दक्षिण-पूर्व दिशा में रविकर पर्वत दक्षिण-पश्चिम दिशा में रतिकर पर्वत उत्तर-पश्चिम दिशा में रतिकर पर्वत नन्दीश्वरोद समुद्र नन्दीश्वरोद समुद्र का संस्थान नन्दीश्वरोद समुद्र की नित्यता नन्दीश्वर द्वीप में सात द्वीप सूत्रांक पृष्ठांक ८३३-८३५ ३६८-३६८ ३६८ ३६८ ३६८ ८३६-८३८ ३६६-४०० ३६६ ३६६ ४०० ८३३ ८३४ ८३५ ८३६ ८३७ ८३८ ८३६-८५२४००-४०८ ८३६ ४०० ८४० ४०० नन्दीश्वर द्वीप में सात समुद्र अपनादि द्वीप समुद्र अरुणादि द्वीप समुद्र का संक्षिप्त प्ररूपण अगद्वीप की चोड़ाई और परिधि अरुणद्वीप का संस्थान अरुणवर द्वीप की चौड़ाई एवं परिधि अरुणवर द्वीप के नाम का हेतु अरुणवर द्वीप की नित्यता कुलवराय द्वीप समुद्र कुण्डलादि द्वीप समुद्रों का संक्षिप्त प्ररूपण रुचकादि द्वीप समुद्रों का संक्षिप्त प्ररूपण -- रुचकवर द्वीप का संस्थान ८४१ ८४२ ८४३ ८४४ ( १०७ ) + ८७३ ८४५ ८४६ ८४७ ८४८ ८४६ ८५० ८५१ ८५२ ८५३-८५६ ४०६-४०६ ८५३ ४०६ ८५४ ४०६ ८५५ ४०६ ८५६ ४०६ ८५७-८६६ ४१०-४१२ ८५७ ४१० ८५८ ४१० ८६० ४११ ८६१ ४११ ८६२ ४१२ ८६३ ४१२ ८६७-६०५ ४१३-४१६ ८६७ ४१३ ४०० ४०३ ४०३ ४०४ ४०४ ४०४ ४०६ ४०७ ४०७ ४०७ ४०८ ४०८ ४१३ रुचकवर द्वीप की चौड़ाई और परिधि देवों में रुचकवर द्वीप की परिक्रमा करने के सामर्थ्य का निरूपण हारादि द्वीप समुद्रों का संक्षिप्त प्ररूपण देवादि द्वीप समुद्रों की संक्षिप्त प्ररूपण सर्व द्वीप समुद्रों की संक्षिप्त विचारणा स्वयम्भूरमण समुद्र का संस्थान स्वयम्भूरमण समुद्र के नाम का हेतु द्वीप समुद्रों की संख्या ये द्वीप समुद्र एक एक हैं प्रत्येकरस और उदकरस समुद्रों की संख्या द्वीप समुद्रों का प्रमाण द्वीप समुद्रों का परिणमन प्ररूपण द्वीप और समुद्रों का स्पर्श पृथ्वी- कम्पन का प्ररूपण वाणव्यंतर देव वाणव्यन्तर देवों के स्थान 'पिशाच' वाणव्यन्तर देवों के स्थान पिशाच देवेन्द्र सूषांक पृष्ठांक ८७४ ४१३ ४१४ ४१४ ८८५ ४१५. ८६२ ४१५ ८६३ ४१६ ८६४ ४१६ ८६५ ४१६ ८६७ ४१६ ८६८ ४१७ ६०० ४१७ ६०२ ४१७ ६०३ ४१७ ६०५ ४१६ ६०६-६२४४२०-४२७ ६०६ २०७ ६०८ ६०६ ६१० अणपन्निकादि वाणव्यन्तर देवों के नाम और उनके सोलह इन्द्रों के नाम वाणव्यन्तरों के इन्द्रों की अग्रमहिषियाँ वाणव्यन्तरों के नगरों की संख्या और स्वरूप असंख्य वाणव्यन्तरावास और उनका विस्तार सुधर्मा सभा की ऊँचाई अंजण काण्ड से भौमेय विहारों का अन्तर वाणव्यन्तरों की परिषदों के देवदेवियों की संख्या जृम्भक देवों का स्वरूप, भेद और स्थान ८७५ ८८१ दाक्षिणात्य पिशाच देवों के स्थान दाक्षिणात्य पिशाचेन्द्र 'काल' का वर्णन उत्तरीय पिशाच देवों के स्थान और उनके इन्द्र महाकाल का वर्णन वाणव्यन्तरों के स्थान जानने का निर्देश और उनके इन्द्र १२ वाणव्यन्तर इन्द्रों के नामों की संग्रह गाथाएँ ε१३ वाणव्यन्तर देवों के चैत्यवृक्ष ६१४ ६१५ अणपनिक वाणव्यन्तर देवों के स्थान अणपनिक देवेन्द्र १६ २११ ६१७ ६१८ ६१६ २० २१ २२ ६२३ ६२४ ४२० ४२१ ४२१ ४२२ ४२२ ४२२ ४२३. ४२३ ४२३ ४२४ ४२४ ४२४' ४२५. ४२६ ४२६. ४२६. ४२६. ४२६ ४२७
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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