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तिर्यक्लोक लोकका संस्थान
तिर्यक्लोक - क्षेत्रलोक के आयाम का मध्य भाग द्वीप और समुद्रों के स्थान महत्ता संस्थान और
प्रकट आकार
५
जम्बूद्वीप का वर्षम
जम्बूद्वीप का स्थान एवं प्रमाणादि जम्बूद्वीप शाश्वत और अशाश्वत
६-६२६
जम्बूद्वीप का पृथ्वी आदि परिणामित्व
जम्बूद्वीप में सब जीवों का एकेन्द्रिय रूप से पूर्व
में उत्पन्न होना
जम्बूद्वीप की जगती का प्रमाण
जम्बुद्वीप की जगती के गवाक्ष का प्रमाण जम्बूद्वीप की जगती पर पद्मवर वेदिका का
प्रमाण
पद्मवेदिका का विस्तृत वर्ण
पद्मवेदिका के नाम का हेतु
पद्मवरवेदिका शाश्वत और अशाश्वत
वनखण्ड का प्रमाण
वनखण्ड का वर्णन
वनखण्ड का समतल भूमि भाग
कृष्ण तृण -- मणियों का इष्टतर कृष्णवर्ण नील तृण - मणियों का इष्टतर नीलवर्ण रक्त तृण - मणियों का इष्टतर रक्तवर्ण पीत तृण - मणियों का इष्टतर पीतवर्ण शुक्ल तृण -- मणियों का इष्टतर शुक्लवर्ण तृण - मणियों का इष्टतर गन्ध तृण - - मणियों का इष्टतर स्पर्श तृणमणियों का इष्टतर शब्द वनखण्ड में मनोहर बावड़िया आदि त्रिसोपान प्रतिरूपकों का वर्णन त्रिसोपान प्रतिरूपकों के आगे तोरण
तोरणों के ऊपर आठ-आठ मंगल
तोरणों के ऊपर चामरयुक्त ध्वजाएँ तोरणों के ऊपर छत्रादि पदार्थ बावड़ियों के समीप उत्पात पर्वतादि
उत्पात पर्वतों पर हंसासन आदि वनखण्ड के अनेक भागों में आलिगृहादि आलिगृहादि में हंसासन आदि वनखण्ड के अनेक भागों में जाइ मण्डप, आदि
सूत्रांक पृष्ठांक
३
६
८
१०
११
१२
१३
१४
१५
१६
२०
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२२
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२६
२७
२८
२६
३०
३१
३२
३५
३६
३७
३८
३६
४०
(१५)
४१
४२
४३
४४.
४५.
१२२
१२२
१२४-३३६ १२४
१२५
१२६
१२६
१२६
१२६
१२६
१२७
१२८
१२८
१२६
१२६
१३१
१३१
१३२
१३२
१३३
१३३
१३४
१३४
१३५
१३७
१३७
१३८
१३८
१३८
१३८
-१३६
१३६
१३६
१३६
१३६.
वाद-मण्डपादि में विविध आकार के पृथ्वीशिलापट्ट४६ वनखण्ड में वाणव्यन्तरों का विचरण पद्मवेदिका के अन्तर्भाग में एक बनण् मनराण्ड में वागव्यन्तरों का विहरण
विजयद्वार की नैषिधिकियों में प्रकण्ठक विजयद्वार की नैषिधिकियों के तोरण
विजयद्वार पर एक हजार अस्सी ध्वजायें
विजयद्वार के आगे नव भोम
विजयद्वार के ऊपर का आकार
विजयद्वार के नाम का हेतु
विजयद्वार की शाश्वतता
विजया राजधानी का स्थान और प्रमाण
विजया राजधानी के प्राकार का प्रमाण
कंगूरों का वर्ण और प्रमाण
विजया राजधानी की प्रत्येक बाह्रा में एक सौ
सूत्रांक पृष्ठांक
१४०
१४०
१४०
१४०
१४१
१४१
१४१
जम्बूद्वीप के चार द्वार
विजयद्वार का प्रमाण
विजयद्वार का वर्णन
विजयद्वार की नैषिधिकियों में चन्दनकलशों
की पंक्तियाँ
५३
विजयद्वार की नैविधिकियों में नागदन्तकों को पंक्तियाँ
५४
विजयद्वार की नैषिधिकियों में सालभंजिकाओं को पंक्ति
५८
विजयद्वार की नैषिधिकियों में जालकटक
५६
विजयद्वार की नैषिधिकियों में घण्टों की पंक्तियाँ ६० विजयदार की नैषिधिकियों में वनमालाओं की पंक्तियाँ
चार वनखण्ड
प्रासादवंतसकों का प्रमाण उपकारिकालयन का प्रमाण
४७
४८
४६
५०
५१
५२
मूलप्रासादवतंसक का प्रमाण प्रासादवतंसकों का प्रमाण
विजयदेव की सुधर्मा सभा का वर्णन
६१
६२
७१
58
६०
६६
पच्चीस द्वार
१०८
प्रकंठकों का प्रमाण
११०
प्रासादवतंसकों का प्रमाण
१११
विजया राजधानी के द्वारों के आगे सतरह भौम ११३
विजया राजधानी के चार दिशा में
१०३
१०४
१०५
१०६
१०७
१४३
१४३
१४४
१४५
१४५
१४६
१४६
१४८
१५१
१५१
१५२
१५३
१५३
१५३
१५३
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१५४
१५४
१५४
१५५
११५
१५५.
११६
१५६.
१२१
१५६
१२६ १५७
१२६
१५८
१३५ १५६