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________________ १७६ १७७ * i ( 6 ) सूत्रांक पृष्ठांक सूत्रांक पृष्ठांक दाक्षिणात्य नागकुमारेन्द्र धरण . १७०८४ बलि की तीन प्रकार की परिषदाओं में देव-देवियों उत्तर दिशा के नागकुमारों के स्थान १७१ की संख्या २१० १०२ उत्तर दिशा के नागकुमारेन्द्र भूतानन्द १७२ शेष भवनपतियों की परिषदायें २११ १०३ सुपर्णकुमारों के स्थान १७३८५ भवनपतियों की सेनाएँ और सेनापति २१३ १०४ सुपर्णकुमार देवों के इन्द्र १७४ भवनवासी पदाति सेनापतियों के सात कच्छों में दाक्षिणात्य सुपर्णकुमारों के स्थान १७५ ...८६ देवों की संख्या २१७ १०५ दाक्षिणात्य सुपर्णकुमारेन्द्र वेणुदेव ८६ भवनवासी इन्द्रों और उनके लोकपालों के उत्पाद उत्तर दिशा के सुपर्णकुमारों के स्थान पर्वत २१८ १०६ उत्तर दिशा के सुपर्णकुमारेन्द्र वेणुदाली १७८ दो भवनवासी देवों की विषमता का हेतु २१६ विद्युत्कुमारादि सातों के स्थानादि का निरूपण १७६ वायुकुमारों के चार प्रकार २२० १०८ भवनवासी देवों के भवनों की संख्या और उनका छप्पन दिशाकुमारियाँ-अधोलोक में रहने वाली प्रमाण १८० आठ दिशाकुमारियाँ २२१ १०८ दक्षिण दिशा और उत्तरदिशा के भवनों की संख्या १८३ ऊर्ध्वलोक में रहने वाली आठ दिशाकुमारियाँ २२२ १०६ रत्नमय भवनावास शाश्वत और अशाश्वत १८४ ८८ पूर्व दिशा के रुचक पर्वत पर रहने वाली आठ भवनवासियों के इन्द्र ८६ दिशाकुमारियाँ २२३ १०६ भवनपति इन्द्रों की अग्रमहिषियाँ १० दक्षिण दिशा के रुचक पर्वत पर रहने वाली भवनवासी देवों के वर्ण १६० ६१ आठ दिशाकुमारियाँ । २२४ ११० भवनवासी देवों के परिधानों (वस्त्रों) का वर्ण १६१ ६१ पश्चिम दिशा के रुचक पर्वत पर रहने वाली भवनपतियों के सामानिक देवों की और आत्म आठ दिशाकुमारियाँ २२५ ११० रक्षक देवों की संख्या १९२ ६१ उत्तर दिशा के रुचक पर्वत पर रहने वाली आठ भवनवासी इन्द्रों के लोकपाल १६३ दिशाकुमारियाँ २२६-१११ भवनपति इन्द्रों के लोकपालों की अग्रमहिषियाँ १६४ ६३ चार विदिशाओं के रुचक पर्वतों पर रहने वाली चमरेंद्र की सुधर्मा सभा १६५ चार दिशाकुमारियाँ २२७ १११ चमरेन्द्र का चमरचंचावास मध्यरुचक पर्वत पर रहने वाली चार दिशाबलि की सुधर्मा सभा तथा बलिचंचा राजधानी १६७ कुमारियाँ २२८ ११२ पाँच सभा पृथ्विकायिक जीवों के स्थान २२६ ११२ सभा की स्तम्भ संख्या १६६ १०० अप्कायिक जीवों के स्थान २३१ ११३ सुधर्मा सभा की ऊंचाई बादर तेजस्कायिक जीवों के स्थान २३४ ११४ उपपात-विरह वायुकायिकों के स्थान २३५ ११५ चमरचंचा के प्रत्येक द्वार के बाहर भीम (नगर) २०२ १०० वनस्पतिकायिकों के स्थान २३८ ११६ उपकारिकालयन २०३ १०० द्वीन्द्रिय जीवों के स्थान २४१ ११७. भवनवासी देवों के चैत्य वृक्ष २०४ १०० त्रीन्द्रिय जीवों के स्थान २४२ ११७. भवनपतियों की परिषदाएँ-चमर की परिषदाएँ २०५ १०० चतुरिन्द्रिय जीवों के स्थान २४३ ११८ तीन प्रकार की चमर परिषदाओं में देवों की... पंचेन्द्रिय जीवों के स्थान २४४ ११८ संख्या २०६ १०१ पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च यौनिकों के स्थान २४५ ११६ तीन प्रकार की चमर परिषदाओं में देवियों की तिर्यकलोक संख्या २०७ १०१ (मध्य लोक) चमर की तीन परिषदाओं के प्रयोजन २०८ १०१ भगवान महावीर का मिथिला में समवसरण १ १२१ बलि की परिषदाएँ २०६ १०२ तिर्यक्लोक क्षेत्रलोक के भेद २ १४४ ६४ १६८ २०० २०१
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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