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५७
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सूत्रांक पृष्ठांक
सूत्रांक पृष्ठांक अधोलोक में अन्धकार करने वाले
३५ अधोलोक के एक आकाश प्रदेश में जीव, अजीव पृथ्वियों के नाम-गोत्र
३५ और उनके देश प्रदेश पृथ्वियों का आधार
अवकाशान्तर आदि का गुरुत्वादिः प्ररूपण १२५ पृथ्वियों का प्रमाण
नैरयिकों के स्थान
१२६ ५६ पृथ्वियों के संस्थान
रत्नप्रभा पृथ्वी के नैरयिक स्थान
१२७ ५६ पृथ्वियाँ शाश्वत भी हैं और अशाश्वत भी हैं ८४ ३६
रत्नप्रभा मे छह महानरकावास
१२८ ६० रत्नप्रभादि का धर्मास्तिकायादि से स्पर्श ८६ ४०
शर्कराप्रभा के नैरपिक स्थान
१२६ ६० पृथ्वियों का द्रव्य स्वरूप
८७ ४१ बालुकाप्रभा के नैरयिक स्थान
१३० ६१ पृथ्वियों के अधःस्थित द्रव्यों का स्वरूप
८८ ४१ पंकप्रभा के नैरयिक स्थान
१३१ ६२ पृथ्वियों का परस्पर अबाधा अन्तर ८६ ४२ पंकप्रभा में छह महानरकावास
१३२ ६२ सप्तम नरक और अलोक का अबाधा अन्तर
धूमप्रभा के नरयिक स्थान
१३३ ६२ रत्नप्रभा नरक और ज्योतिषी देवों का अबाधा अन्तर ६१ तमःप्रभा के नैरयिक स्थान
१३४ ६३ पृथ्वियों के नीचे गृहादि का अभाव
तमस्तमा पृथ्वी के नैरयिक स्थान
१३५ ६४ पृथ्वियों के नीचे देवादि-कृत स्थूल मेघादि हैं
सप्त पृथ्वियों का बाहल्य
१३७ ६५ पृथ्वियों के नीचे स्थूल अग्निकाय का अभाव ४३ सप्त पृथ्वी स्थित नरकावासों के स्थान
६५ पृथ्वियों के नीचे ज्योतिषी देवों का अभाव ___६५ ४३ नरकावासों की संयुक्त संख्या रत्नप्रभा पृथ्वी के काण्ड
पृध्वियों में नरकावास शर्कराप्रभा आदि छह पृथ्वियों की एकरूपता
४४ नरकावासों का प्रमाण
१४८ काण्डों का बाहुल्य
नरकावासों के संस्थान
१५२ ७१ काण्डों का द्रव्य स्वरूप ९ ४५ नरकावासों के वर्णादि
१५३ ७२ काण्डों का संस्थान
नरकावास वज्रमय और शाश्वत-अशाश्वत हैं. १५४ पृथ्वी-चरमांतों का और काण्ड-चरमांतों का अन्तर १०१ ४६ अधोलोक में दो शरीर वाले पृथ्वियों के नीचे घनोदधि आदि का सद्भाव और
भवनवासी देवों के स्थान
१५६ उनका प्रभाव
असुरकुमारों के स्थान का प्ररूपण
१५७ ७७घनोदधि वलय आदि का प्रमाण
असुरकुमारों के स्थान
१५८ ७७घनोदधि आदि के संस्थान
१०८ ४६ असुरकुमारों के इन्द्र
१५६ घनोदधि वलय आदि के संस्थान
दाक्षिणात्य असुरकुमारों के स्थान
७८घनोदधि आदि का द्रव्य स्वरूप
दाक्षिणात्य असुरेन्द्र चमर
७६. घनोदधि बलय आदि का द्रव्य स्वरूप
असुरकुमारों की नीचे जाने की शक्ति का प्ररूपण १६२ ८०. पृथ्वियों के पूर्वादि चरमांत
असुरकुमारों की तिर्यक्लोक में जाने की शक्ति का पृथ्वियों के चरमान्तों का और घनोदधि आदि के
प्ररूपण
१६३ ८१ चरमान्तों का अन्तर
११६ ५२
असुरकुमारों की ऊर्वलोक में जाने की शक्ति का पृथ्वियों के चरमान्तों में जीव, अजीव और उनके देश-प्रदेश ११६ ५५
१६४ ८१. पृथ्वियों के चरमादि
१२० उत्तरदिशा के असुरकुमारों के स्थान १६५ ८२ पृथ्वियों के अचरमादि पदों का अल्प-बहुत्व १२१ ५६ उत्तरदिशा का असुरेन्द्र बलि
१६६ ८३.. रत्नप्रभादि से लोकांत का अन्तर १२२ ५६ नागकुमारों के स्थान
१६७ ८३ द्रव्य, काल और भाव से अधोलोक-क्षेत्रलोक का
नागकुमारेन्द्र
१६८ ८३ आधेय प्ररूपण १२३ ५७ दाक्षिणात्य नागकुमारों के स्थान
१६६. ४४
१०५
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प्ररूपण