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अनुक्रमणिका
गणितानुयोग लोक प्रज्ञप्ति पृष्ठ : १-७३६
सूत्रांक पृष्ठांक
सूत्रांक पृष्ठांक मरिहन्त-सिह-स्तुति
द्रव्यलोक
४०-६७ १८-३३ उत्थानिका
२-३६ ३.१८ जीव-अजीवमय लोक चंपानगरी
३ लोक में द्विविध पदार्थ चंपा में कोणिक राजा
३ लोक में स्पर्शना 'चंपा में भगवान महावीर का आगमन संकल्प
३ लोक में शाश्वत और अनन्त
४७ २० प्रवृत्तिव्यावृत्त का कोणिक से निवेदन
४ पंचास्तिकायमय लोक कोणिककृत स्तव
छह द्रव्यमय लोक भमवान का चम्पा में आगमन
५ दिशाओं के भेद और स्वरूप 'भगवान का परिवार और देवताओं का आगमन
५ दिशाओं में जीव, अजीव और उनके देश, प्रदेश चम्पानिवासियों द्वारा पर्युपासना
६ लोक में जीव अजीव और उनके देश-प्रदेश कोणिक का आगमन
६ लोक में एक आकाश प्रदेश में जीव-अजीव और भगवान द्वारा लोकादि के सम्बन्ध में उपदेश
७ देश-प्रदेश
५७ २५ लोकस्वरूप के ज्ञाता और उपदेशक
८ प्रदेशों का उदाहरण सहित अनाबाधत्व ५८ २६ लोक के भेद
६ लोक के एक आकाश-प्रदेश में जीवों और जीव-प्रदेशों नामलोक २१ १० का अल्प-बहुत्व
५६ २७ स्थापनालोक
१० लोक के चरमान्तों में जीवाजीव और उनके देश-प्रदेश ६० २८ लोकप्रमाण
नंगम और व्यवहारनय की अपेक्षा से लोक में लोक का आयाम-मध्य भाग
२५ १२ क्षेत्रानुपूर्वी आदि द्रव्यों का अस्तित्व ६१ लोक का समभाग और संक्षिप्त-भाग
१२ नंगम और व्यवहारनय की अपेक्षा से लोक में लोक का वक्रभाग १२ आनुपूर्वीद्रव्य आदि की स्पर्शना
६४ लोक का संस्थान
१३ संग्रहनय की अपेक्षा से लोक में अनानुपूर्वी द्रव्यादि आठ प्रकार की लोकस्थिति और बस्ति का उदाहरण २६ १३ का अस्तित्व
६६ ३२ दस प्रकार की लोकस्थिति
१४ संग्रहनय की अपेक्षा से आनुपूर्वी आदि द्रव्यों की लोक के विषय में स्कन्धक-संवाद
लोक स्पर्शना 'लोक का एकांत शाश्वतत्व और अशाश्वतत्व का
क्षेत्रलोक
६८-६८ ३३-३४ निषेध
क्षेत्रलोक के भेद और क्रम लोक के सम्बन्ध में अन्य॑तीथिकों की मान्यताएँ ३४ -लोक के विषय में अन्यतीथिकों के मतों का निषेध ३५ १७
अधोलोक ७०.२४५ ३४-११६ लोक में चार समान हैं
१७ अधोलोक के भेद और क्रम लोक में उद्योत के कारण ३८ १८ अधोलोक का संस्थान
७२ ३५ -लोक में अन्धकार के कारण ३६ १८ अधोलोक का आयाम-मध्य
७३ ३५
३२
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