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________________ ८२ गणितानुयोग : भूमिका १ पक्ष मुहूर्त उपर्युक्त माप-वर्णन उत्सेधांगुल से है। उत्सेधांगुल से दिगम्बर मान्यतानुसार उपर्युक्त कालमाप का वर्णन इस प्रमाणांगुल पाँच सौ गुणा होता है। एक उत्सेधांगुल लम्बी एक प्रकार हैप्रदेश की श्रेणी (पंक्ति) को सूच्यंगुल कहते हैं । सूच्यंगुल के वर्ग समय काल का सबसे छोटा अविको प्रतरांगुल कहते हैं और सूच्यंगुल के धन को घनांगुल कहते भागी अंश हैं । असंख्यात कोड़ाकोड़ी घनांगुल गुणित योजनों की पंक्ति को असंख्यात समय १ आवली श्रेणी या जगच्छणी कहते हैं। जगच्छणी के वर्ग को जगत्प्रतर संख्यात आवली १ प्राण (श्वासोच्छ्वास) कहते हैं और जगच्छेणी के धन को लोक या धन-लोक कहते हैं। ७ प्राण १ स्तोक इनमें से जगच्छणी के सातवें भाग-प्रमाण क्षेत्र को राज ७ स्तोक १ लव कहते हैं । लाकाकाश का घनफल ३४३ राजु प्रमाण है । ७७ लव १ मुहत ११-काल-माप ३० मुहूर्त १ अहोरात्र समय काल का सूक्ष्मतम अंश १५ अहोरात्र जघन्य युक्त असंख्यात समय = १ आवलिका २ पक्ष १ मास आवलिका=१ प्राण २ मास १ ऋतु प्राण १ स्तोक १ अयन स्तोक १ लव २ अयन १ वर्ष ३१ लव १ घड़ी ८४ लाख वर्ष १ पूर्वांग घड़ी १ मुहूर्त(=४८ मिनट) ८४ लाख पूर्वांग १ पूर्व १ अहोरात्र ८४ ,, पूर्व १ पर्वांग अहोरात्र ८४ , पर्वांग १ पर्व मास १ वर्ष , पर्व १ नयुतांग लाख वर्ष १ पूर्वांग , नयुतांग १ नयुत पूर्वांग " नयुत १ कुमुदांग १ त्रुटितांग , कुमुदांग १ कुमुद त्रुटितांग १ त्रुटित १ पद्मांग त्रुटित १ अडडांग , पद्मांग १ पद्म अडडांग १ अडड ८४ , पद्म - १ नलिनांग १ अववांग ८४ , नलिनांग = १ नलिन अवांग १ अवव इसी प्रकार आगे कमलांग-कमल, तुट्यांग-तुट्य, अटटांगअवव १हूहूकांग अटट, अममांग-अमम, हूहूअंग-हूहू, लतांग-लता, महालतांगहूहूकांग १ हूहूक महालता, शिरःप्रकम्पित, हस्तप्रहेलित और अचलात्म को १ उत्पलांग उत्तरोत्तर ८४ लाख गुणित जानना चाहिए। " , उत्पलांग १ उत्पल ये सभी संख्याएँ संख्यात गणना के ही भीतर हैं। इसी प्रकार आगे पद्मांग, पद्म, नलिनांग, नलिन, अर्थनिपुरांग, अर्थनिपुर, अयुतांग, अयुत, प्रयुतांग, प्रयुत, नयुतांग, पल्योपम और सागरोपम आदि असंख्यात-गणना के नयुत, चूलिकांग, चूलिका, शीर्षप्रहेलिकांग और शीर्षप्रहेलिका भीतर हैं। उत्तरोत्तर चौरासी लाख गुणित जानना चाहिए। यह काल-मान इन सबसे ऊपर अन्त-विहीन जो राशि है, वह अनन्त श्वेताम्बर-आगमों के अनुसार है। कहलाती है। . १ मास १ पूर्व पूर्व अडड हूहूक
SR No.090173
Book TitleGanitanuyoga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj, Dalsukh Malvania
PublisherAgam Anuyog Prakashan
Publication Year1986
Total Pages1024
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Mathematics, Agam, Canon, Maths, & agam_related_other_literature
File Size34 MB
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