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इति-भासियाई सुपहाणं सपेहाए, आयार वा वि अपणो ।
सुपटिद्वितो सदा धम्मे, सो पच्छा उतपति ॥ १०॥ अर्थ:-अपने श्रेष्ठ आचारों के प्रति सतर्क और धर्म में सदैव सुप्रविष्टित रहनेबाला जीवन की संध्या में कमी पश्चाताप के आंसू नहीं नहाता है। गुजराती भाषान्तर:
શ્રેષ્ઠ આચારોને વિચાર પૂર્વક જીવનમાં ઉતારનાર અને ધર્મને માટે સદા તત્પર રહેનારે કોઈ દિવસે પશ્ચાત્તાપના આસુંઓ વહાવતો નથી.
पुध्यरत्तावरत्तम्मि, संकप्पेण बटुं कडं ॥
. सुकई दुकडं या वि, कसारमणुगच्छह ॥ ११ ॥ अर्थ: पूर्व रात्रि और अपर रात्रि के क्षणों में संकल्पों के द्वारा आत्मा ने जो भी अच्छे या बुरे कार्य किये है वे कर्ता का अनुगमन करते हैं। गुजराती भाषान्तर:
પહેલી અને પાછલી રાતે સંકલ્પ દ્વારા આમા એ સારાં કે નરસાં કામ કર્યા છે તે કર્તાનું અનુશમન કરે છે.
आत्मा शुभाशुभ वृत्तियों के द्वारा जो भी कर्मदलिक एकत्रित करता है वे संचित कर्म तब तक आत्मा अनुगमन करते हैं जब तक कि वे विपाकोदय या प्रदेशोदय के द्वारा भोग कर निर्जरित नहीं हो जाते।
टीका:- पूर्वराने तथाऽपररात्रेऽतीतातीततरकाले संकल्पेन चिकीर्षया बहु कृतं यत्
सुकृतं वा दुष्कृत या कर्म सत् कर्तारमनुगच्छति तस्य जीवे सज्जति। । पूर्वरात्रि तथा अपर रात्रि के अतीत और अतीततर काल में शुभाशुभ अध्यषसाय और संकल्पों के द्वारा जो कुछ शुभाशुभ कर्म आत्मा संचित करता है वे कर्म अपने कर्ता का अनुगमन करते हैं ।
सुकई दुकाडं वा घि, अप्पणो यावि जापति ॥
ण य णं अपणो बिजाणाति, सुकडं णेच दुष्कर्म ॥ १२॥ , .. अर्थ:-अपने अच्छे या बुरे कर्मों को आत्मा स्वयं जानता है, किन्तु किसी के अच्छे बुरे कार्यों को दूसरा व्यक्ति जान नहीं सकता है। गुजराती भाषान्तर:
પોતાના સારા કે ખોટા કને આત્મા પોતે જ જાણે છે. બીજી વ્યક્તિ કોઈના સારાં કે નરસાં કમોને જાણી तीनथा..
किसी को अच्छाई और धुराई के सम्बन्ध में व्यक्ति बहुत जल्दी निर्णय दे देता है, किन्तु अपनी अच्छाई और बुराई का तौल व्यक्ति खतः जितना कर सकता उतना दूसरा नहीं। व्यक्ति की स्थूल अखेिं अच्छाई और बुराई के स्थूल रूप को ही देख सकती हैं, किन्तु मजबूरियों के वे पतले धागे स्थूल आने नहीं देख पाती है; जिनसे बन्धकर जघन्य कार्य करने के लिये व्यक्ति विवश हो जाता है।
नर कल्लाणकारिपि, पावकारिति बाहिरा॥
पाधकारिपि ते वूया, सीलमंतो ति बाहिरा ॥ १३॥ . अर्थ: बाहरी दुनियाँ कल्याणकारी यात्मा को भी पापकारी बतलाती है। और अन्तर तक न पहुंचने वाले दुराचारी को भी सदाचारी कह डालते हैं। गुजराती भाषान्तर:
આદ્ય દષ્ટિવાળો આત્મા કલ્યાણકારી આત્માને પણ પાપકારી બોલે છે, અને ભીતર સુધી ન પહોંચી શકનાર માણસો દુરાચારીને પણ સદાચારી બતાવી દિયે છે.
१-कचारमेवमणुजार कम्मं । उत्त०१३-२३,