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________________ एकतीसवां अध्ययन १८५ हमें कैसा बनना है यह हमें सोचना है। अपने निर्माता हम स्वयं है। हमारे कर्म हमको यह रूप देते हैं जैसा कि हम करते हैं हमारे अच्छे कार्य इसको अच्छा बनाते हैं। एक विचारक के शब्दों में Good uctions enable us and we aue the sons of our deeds. हमारे अच्छे कर्म हमको अच्छा बनाते हैं क्योंकि हम अपने कार्यों के पुत्र हैं। हमारे जीवन की कीमत भी हमारे कार्य करते हैं। किसने जिंदगी अच्छी है यह वर्षों की गणना के द्वारा नहीं बता सकते । याँ तो मानव की अपेक्षा बाघ और चीतों की जिन्दगी लंब हो सकती है किन्तु लम्बाई जिन्दगी की अच्छाई का मानदंड नहीं हो राकती । एक दूसरा विचारक भी कहता हैः A life spent worthily should be mensured by deeds and not years, जीवन कितना कमी रहा है यह वर्षों से नहीं कार्यों से भाषा जाता है। एवं से सिद्धे बुद्धे ॥ गतार्थः । प्रोक्त एक प्रति इति वा तीसवाँ अध्ययन | पार्श्व अर्हता प्रोत एकतीसवां अध्ययन मनुष्य ने जब पहली भर्खा इस दुनियां को देखें तभी से उसके मन में जिज्ञासा पैदा हुई जीवन क्या है और जगत् क्या है ? यह विराट विस्तृत भूखंड क्या है ? इसका नियामक कौन है ? किन तत्त्वों से इसका निर्माण हुआ है । यह सान्त हैं या अनंत है। इसके कितने रूप हैं। यह जीवन क्या है, मैं कौन हूं, गर्भ में आता कौन है, कौन जन्म लेता है और कुछ वर्ष यहां बिताकर फिर कहां चला जाता है। वह कौन सा लोक है जहां आत्मा चिर शान्ति पा सकता है उसे न फिर आने की आवश्यकता रहती है न कहीं अपने की। ये सभी प्रश्न अनादि से मानव के मन को मथ रहे हैं उन्हीं में से कुछ प्रश्नों का यहां समाधान दिया गया है। ३ ) कस्स वा लोप ? ( ७ ) कस्स वा गती ? (४) के चा लोयभावे ? ( ८ ) के वा गति (१) कैसे लोए ? (२) कवि लोप ? ( (५) केण वा अद्वेण लोए पच्चाई ? ( ६ ) का गती ? भावे ? (९) केण वा अद्वेण गती पतुञ्चति ? अर्थ :- (१) लोक क्या है ? ( २ ) कितने प्रकार का लोक है ? भाव क्या है और ( ५ ) किन अर्थ में लोक कहा जाता है ? ( ६ ) मति (८) गति-भाव क्या है और ( ९ ) किस अर्थ में गति कही जाती है । गुजराती भाषान्तर :( १ ) सोङ शुं छे ? ( २ ) या प्रकारा सोछे ? (५) या चाय थे ? ( ६ ) गति छ ? અને (૯) કયા અર્થમાં ગતિ કહેવાય છે? यहां लोक और गति के सम्बन्ध में कुछ प्रश्न किये गये हैं। मानव मन की जिज्ञासा को यहाँ प्रश्न के रूप में व्यक्त किया गया है। लोक क्या है ? उनका हम क्या है ? उसकी आधार स्थिति क्या है । कुछ प्रक्ष गति से सम्बन्धित हैं । गति क्या है, उसका किसने सम्बन्ध है ? गति क्यों होती है ? गति का अस्तित्व किस पर आधारित है ? गति शब्द किस अर्थ में प्रयुक्त होता है ? । २४ (३) लोक किसका है ? ( ४ ) लोकक्या है ? ( ७ ) किसकी गति होती है ? ( 3 ) लो ना ? ( ४ ) बोडलाव शुं छे ? ने ( ७ ) होनी गति होय छे ? ( ८ ) गतिभाव शुं छे ?
SR No.090170
Book TitleIsibhasiyam Suttaim
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharmuni
PublisherSuDharm Gyanmandir Mumbai
Publication Year
Total Pages334
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size10 MB
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