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इसि-भासियाई जिनका जीवन अनार्य है और जिनके मित्र भी अनार्य ही हैं । अनार्य मित्र की प्रेरणा अनार्य कर्म की ही ओर ले जाएगी। किन्तु ये अनार्य कर्म उन्हें संसार करा के सागर में डाल देते हैं।
___ संधिज्जा आरियं मग, कम्मं जे वा वि आरियं ।
आरियाणि य गिताणि, सारियलमाहिए। ३ ॥ - अर्थ:-इसी लिए मानव भार्य मार्ग और आर्य कर्म को ग्रहण करे। आर्य साथी की खोज करे और आर्यत्व के लाए तत्पर रहे। गुजराती भाषान्तर:
માટે માનવ, આર્યમાર્ગ અને આકર્મને ચાહણ કરે, આર્ય મિત્રની શોધમાં જ રહે અને આત્વ માટે शीश ४३.
आर्यत्व के लिए सर्व प्रथम आर्योपदिष्ट आर्यमार्ग की खोज करे। उसके आर्यत्व का परिरक्षण करे, अन्यथा आर्यत्व की ओर में यदि कहीं अनार्यत्व पनप रहा है तो पहले डूबेगा ।
महामुनि चित्त-चक्रवती सम्राट ब्रह्मदत्त को कहते है कि ठीक है, निदानकृत तप के कारण तुम आर्य मुनिधर्म को नहीं अपना सकते तो आर्यधर्म तो खौकार कर सकते हो।
जइ त सि भोगे चइड असत्तो मजाइ कम्माइ करेहि राय ।
धम्मे हिलो सम्वपयाणुकंपी तो होहिसि देवो इओ विजयी ।-उत्सरा, अ. १३ गा. ३२ सम्राट | यदि तूं भोगों को त्यागने में अपने आप को असमर्थ पा रहा है तो कम से कम आर्यकर्म तो अपना ही लो। धर्म में स्थित हो कर सर्व प्राणिमात्र पर करुणा की धारा बहाओ तो भी तुम देव तो बन ही सकते हो।
इसमें आर्य-कर्म की व्याख्या बहुत कुछ आ ही गई है। विश्व के प्राणिओं पर करुणा तथा प्रेम बरसाना उनके साथ आत्मीयता और बन्धुता जोड़ना 'आर्य कम है।
जे जणा आरिया णिचं, कम्म कुपति आरियं ।
आरिपतिय मिसेहि, मति भवसागरा ॥४॥ अर्थ:-जो जन आर्य है और सदेव आर्य मित्रों के ही साथ रहते हैं, तथा आर्य-कर्म करते हैं, वे ही भव-सागर से मुक्त हो सकते हैं। गुजराती भाषान्तर:
જે લોકો આર્ય છે અને હંમેશા આચૈમિત્રોના સમાગમમાં જ રહે છે તથા આકર્મ કરે છે, તેઓ જ ભવસાગરથી મુક્ત થઈ શકે છે.
एक कहावत है कि "जैसा संग वैसा रेग"। इसी को किसी कवि ने कहा है: "कदली सीप भुजंग मुख, स्वाति एक । गुन तीन । जैसी संगति बैठिए तैसाई गुन दीन' । खाति नक्षत्र का जल यदि केले का संग पाता है तो कपूर बनता है, यदि वह सीप में गिरता है ती मोती होता है और वही जल बिन्दु जब सर्प का साहचर्य पाता है तब विष का रूप पाकर प्राण घातक बन जाता है। कोयले के व्यापारी के हाथ काले हमेशा रहते हैं। इसके विपरीत अतारी के हाथ हमेशा खुशबू से महकते रहते हैं। पानी जब दूध का साथ करता है तो उसकी कीमत बढ़ जाती है। नदी की जल धारा से मिला हुआ तिनका सागर से जाकर मिल जाता है। इसी प्रकार महापुरुषों का साहचर्य पाने वाला परमात्मा से जा मिलता है।
हजारों शिक्षा की अपेक्षा एक दलील श्रेष्ठ है, हजारों दलील की अपेक्षा एक दृष्टान्त दिल में जा बैठता है, किन्तु महा पुरुषों का संग जीवन को बदलने के लिए हजारों दृष्टान्तों से भी अधिक सक्षम है।
आरियं गाणं साहू, आरियं साहु दसणं ।
आरियं चरणं साह, तम्हा सेवय पारिय॥५॥ अर्थ:-आर्य का ज्ञान श्रेष्ठ है, आर्य का दर्शन श्रेष्ठ है और आर्य का चरित्र श्रेष्ठ है । अत एव सदैव आर्य की ही उपासना करनी चाहिए। गुजराती भाषान्तर:
આનું જ્ઞાન શ્રેષ્ઠ છે આર્યનું દર્શન શ્રેષ્ઠ છે, અને આર્યનું ચારિત્ર કોણ છે, તેથી હંમેશા આર્યની જ ઉપાસના કરવી જોઈએ.