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________________ ( ७९२ ) गलत है क्योंकि उन अवस्थामें परमाणु की सत्ताका ही अभाव सिद्ध होगा। साइपके सुप्रसिद्ध विद्वान भूत पूर्व मिष्टर जे लार्क मेकसबेल एम एल एल, ड्रो एफ आर एल एम एल एण्ड ई० आनरेरी फेलो भाट्रिनिटी कालेज और प्रोफेसर श्राव एक्सपेरीमेण्टल फिजिक्स इन दो यूनिवर्सिटी प्राव कैम्ब्रिज अपनी मैंनुन्नल्स श्राव एलीमेण्टरी साइन्स सीरीज 'मैटर एण्ड मोशन' नामक पुर सकमें न्यूट्यकी थईला आरमोशन (क्रिया के तीसरे नियम ) की सिद्धि में पृष्ट ५८ में लिखते हैं कि “The fact that a magnet draws iron towards it was noticed by ancients, but no attention was paid to the force with which the iron attracts the magnet अर्थात यह विषय कि चुम्धक लोहे को अपनी ओर खींचता है पूर्व पुरुषोंसे जाना गया था परन्तु उस शक्ति पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था जिसके द्वारा लोहा चुम्बकको अपनी ओर खींचता है । अतः साइन्स द्वारा यह बात प्रत्यक्ष सिद्ध है कि चुम्बकमें भी परिस्पन्दात्मक क्रिया और अपरिस्पन्दास्मक परिणाम बराबर होता रहता है यह मानना कि "चुम्बक पत्थर स्वयं नहीं हिलता, परन्तु लोहे को हिला देता है ठीक नहीं है। श्रादि ..... __ अनेक सत्तायें आप फरमाते हैंकि-जैसे में एक सत्ता हूँ जो अपने शरीरको चलासा हूं । मेरा हाथ लिखता है। मेरा मुँह बोलता है, । मेरी अाँख देखती है । मैं बहुतसी वस्तुओंको तोड़ मरोड़ कर मन-मानी
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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