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________________ ध्यान नहीं दिया। थोड़े दिन बाद राजा की फिर सवारी निकली तो राजाने उसी बनिये को देख कर कहा-क्यों वजीर : आपने इसको निकाला नहीं : वजीर ने माफी माँगी और कहा कि अब निकाल देगा । इस पर वजीर के दम पर विचार उत्पन्न हुमा कि क्या कारण है राजा इसी वनियेको देखकर नफरत करता है इस पर वजीरने उस अनियेसे मित्रता बढ़ा ली और एक दिन बनिसे पूछा कि क्या बात है, जो आप इतने चिन्तित रहते हैं। इस राज्य में तो सारी प्रसा ही सुखी है. किसी को किसी प्रकारका कष्ट नहीं हैं, आपका चेहरा हर समय मुरझाया ही रहता है । इसपर यनिये ने कहा कि भाई यसमा नरामय हो चुका । ता की यह समझ कर कि अन्त्येष्टि संस्कार के लिये सेरी ही दूकान पर से सामान जायेगा, मैंने हजारों रुपये का सामान खरीद लिया था मगर राजा नहीं मरा. मैं सोचता हूँ कि राजा मर जाय नो मंरा सारा सामान विक जाय । बजीर समझ गया कि यही कारण है जो राजा इसे निकालने को कह रहा था । उसने अनिये का मारा सामान खरीद कर गरीबोंको बांट दिया । किसी दिन फिर राजाकी सवारी निकली तो राजा ने उस आदमी को देख कर का कहावजीर ! मैं गलती कर रहा था । तुमने ठीक किया जो इसे नहीं निकाला. यह तो बड़ा प्रकला आदमी है। यही कर्मोकी परगन प्रतिक्रिया है। प्रत्येक व्यक्ति इस प्रकार के सैकड़ों अनुभव अपने जीवनमें बराबर करता है किन्तु उन पर सूक्ष्म-दृष्टि से कभी ध्यान नहीं देता। बदला कर्मरूपी क्रियाकी अनेक प्रतिक्रियाओं में से एक बदला रूप भी प्रतिक्रिया है। इसके लिये साधु लोग एक दृष्टान्त दिया करते
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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