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________________ ( ६२८ ) हैं कि एक समय एक साधु और उनका शिष्य तीर्थ-यात्राको जा रहे थे। मार्ग में उनको एक मछुपा मछली मारता हुआ मिला। शिप्यने उग्ने अहिमाका उपदेश दिया परन्तु वह उपदेशने कम मानने वाला था जब वह न माना तो शिष्य उसके माथ झगड़ा करने लगा. इस पर साधु ने अपने शिष्य में कहा कि भाई. माधुओं का काम केवल उपदेश देना है लड़ना-झगड़ना नहीं । इस पर वे दोनों आगे चले गये। कुछ दिनोंके बाद जब वे तीर्थयात्रा करके वापिस पाये तो उसी स्थान पर ( जहां कि मळुवेसे वाद-विवाद हुआ था ) क्या देखते हैं कि एक सांप पड़ा हुश्रा है और हजारों कीड़ियां उसको खा रही है । सांप का यह घोर कष्ट देख कर शिष्य ने चाहा कि किसी प्रकार इस का कष्ट दूर किया जाय । इस पर साधु ने अपने शिष्य से कहा- 'यह वही मळुवा है जो पति गंगारा करता था और सिरे से नहीं मामा था और ये कोड़ियां वे ही मछलियां हैं जो कीड़ी के रूप में अपना बदला ले रही हैं। इसी प्रकार के ऐतिहासिक दृष्टान्त भी दिये जाते हैं, जैसे कि शिवाजी के बारे में यह प्रसिद्ध है कि वह पूर्व जन्म में एक मंदिर के महन्त थे और मन्दिर को मुसलमानों ने लूटा और महन्त को भी जान से मार डाला । मरते समय महन्त यह निदान करके मरा कि मैं मुसलमानों से इसका बदला लेॐ। उन्होंने किमप्रकार से बदला लिया इसका इतिहास साक्षी है। इसी प्रकार की एक घटना बहुत दिन हुये जब अखबारों में प्रकाशित हुई थी। ___ एक साहूकार जंगल से गुजर रहा था उसके पास बहुन सा माल था। रास्ते में एक डाकू ने उसका सारा माल लूट लिया और उसे भी मार डाला । मरते समय साहूकारने यह निदान बांधा कि मैं अपना धन अपने आप भोगू । उस डाकू ने डाकूपने का
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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