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________________ गई हैं : हरिभद्र सूरिने भी इसी अर्थको मान कर बौद्ध, जैन. नांख्य, नयायिक, वैशेषिक और पूर्व मीमांसकोंको आस्तिक कह हर सम्बोधित किया है "एवमेवास्तिकवादानां वृतं संक्षेप कीर्तनम्" "आस्तिकबादानां परलोकमति पुण्यपायास्तित्ववादिनां, बौद्धनैयायिक-सांख्य-जैन-वैशेषिक जैमिनिनानां संक्षेपकीर्तनम् कृत इति मणिभद्रकृतविकृतिः।" अर्थान---"प्रास्तिकवाद वे हैं जिनमें परलोक के लिये पाप पाप पुण्यको सत्ता मानी जाती है, जैसे बौद्ध . नैयायिक, सांख्य (कपिल) जैन वैशेषिक जैमिनीय (पूर्व मीमांसक) आदि उनवादों का मैंने संक्षेपसे वर्णन किया है ।" हरिभद्र सू रिकृत पछदर्शन समुच्चयकी ७-७ वीं कारिका पर मणिभद्र सूरिकी व्याख्या । ___पहले कहे हुए स्मृति कालोन अर्थमें (अर्थान् वेद-विरोधीको नास्तिक कहते हैं। श्रथया इसी अर्थके आधार पर चार्वाक , जैन, और बौद्ध भले ही नास्तिक कहे जायें, किन्तु वर्तमान कालिक पौराणिक मतके ईश्वर न मानने पालेको नास्तिक कहनेके अर्थके आधार पर तो वौद्ध. चावाक , जैन, कणाद, गौतम. सांख्यकार कपिल, और मीमांसक जैमिनि. सभी नास्तिक कहे जा सकते हैं। इसलिये कणादि प्रभूति छ: आस्तिक नामसे कहे जाने वाले दार्शनिक पुनजन्म माननेके कारण और वेद माननेके कारण श्रास्तिक शब्दसे पुकारे जाते हैं न कि ईश्वर माननेके कारण। यहां इस बात पर ध्यान देना चाहिये कि इन छः दार्शनिकों में वस्तुतः दो ही दार्शनिक वैदिक है. शेष चार तो तार्किकदार्शनिक कहे जाते हैं उनका तो पैदिक दार्शनिकों में प्रवेश ही
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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