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________________ इसके बादकी सृष्टि ( अर्थात् स्थूल पंच महाभूतों या उनमे उत्पन्न होने वाले अन्य जड़ पदार्थों की उत्पत्ति के क्रम का वर्णन किया जायेगा । सांख्य-शास्त्र में सिर्फ यही कहा है. कि सूक्ष्म तन्मात्राओं में स्थूल पंचमहाभून' अथवा 'विशेष' गुण परिणाम के कारण उत्पन्न हुये है। परन्तु वेदान्त शास्त्र के ग्रन्धी में इस विषय का अधिक विवेचन किया गया है इसलिये प्रसंगानुसार उसका भी संक्षीप्त वर्णन-इस सूचना के साथ कि यह वेदान्त शास्त्रका मत है. सांख्योंका नहीं कर देना आवश्यक जान पड़ता है. स्थूल. पृथ्वी.पानी. वेज. वायु. और आकाश, को पंचमहाभूत अथवा विशेष कहते हैं। इनका उत्पत्ति क्रम तैतिरीयोपनिषद् में इस प्रकार है :--- "आत्मनः आकाशः संभूतः । श्राकाशाद्वायः । बायोसंमः । अग्नेरापः । अद्भ्यः पृथियो । पृथिव्या ओषधयः । इ." (ले० उ० २।१) अर्थात् पहले परमात्मा से ( जड़मूल प्रकृनिमे नहीं. जैमा कि सारख्य वादियोंका कथन है । आकाश से बाय, वायुसे अग्नि अग्निसे पानी और फिर पानीसे पृथ्वी उत्पन्न हुई है। सैतिरीयोपनिषद में यह नहीं बतलाया गया कि इस क्रमका कारण क्या है परन्तु प्रसीन होना है कि उत्तर-वेदान्त ग्रन्थोंमें पंच महाभूतों के उत्पत्ति क्रम के कारणों का विचार सांख्य शास्त्रोक्त गुण परिणाम के तत्व पर ही किया गया है । इन उनर वेदान्तियों का यह कथन है. कि गुणा गुणेषु वर्तन्ने इस न्याय से पहले एक ही गुण का पदार्थ उत्पन्न हुआ उससं नो गुणों के और फिर तीन गुणों के पदार्थ उत्पन्न हुए. इसी प्रकार वृद्धि होती गई पंच महामूर्ती में से श्राकाश का मुख्य रक गुण केवल शब्द ही है..
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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