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________________ उसका तरीका क्या है एक तो यह कि जैसे मन्दिर चिनने वाला चूना पत्थर आदि सामग्री इकट्ठी कर आकारादि बनाता है, वैसे ही ब्रमा सामग्री इकट्ठी कर सृष्टि रचना करता है तो यह सामग्री जहाँ से लाकर इकट्ठी की वह ठिकाना बताना चाहिये । और अकेले ब्रह्माने ही यदि इतनी रचनाकी तो अागे पालकी या अपने शरीरके बहुतसे हाथ श्रादि बनाकर एक समयमें ही की ? यह चताना चाहिये। . दूसरे यह है कि जैसे राजाकी आज्ञानुसार कार्य होता है वैसे ही ब्रह्माकी आज्ञानुसार सृष्टि पैदा होती है। तब प्रश्न यह है कि प्राज्ञा किसको दी ? और जिसको आज्ञा दी वह सामग्री कहाँ से लाया और कैसे रचना की ? यह सब मालम होमा चाहिये। तीसरे यह है कि जैसे ऋद्धिधारी इच्छा करता है और कार्य स्वमेव अन जाता है, वैसे ही ब्रह्मा इच्छा करता है और उसके अनुसार सृष्टि स्वमेव पैदा होजाती है । लेकिन यह भी ठीक नहीं है क्योंकि आमा ती इच्छाका ही कर्ता हुआ, सृष्टि ता अपने आप हो पैदा हुई । दूसरे इच्छा तो परब्रह्मने की तब ब्रह्माका कर्तव्य क्या हुआ ? जिससे ब्रह्माको सृष्टिका पैदा करने वाला कहा जाय अगर यह कहा जाय कि परमब्रह्म और ब्रह्म दोनों ने ही इच्छा की तब लोक पैदा हुश्रा तो ब्रा के शक्ति होनपने का दोष हुअा। ___ इसके अतिरिक्त यह भी प्रश्न है कि अगर बनानेमे ही लोक बनता है तो बनाने वाला तो सुखके लिये ही बनाता है इसलिये इष्ट ही रचना करता है लेकिन इस लोकमें इष्ट पदार्थ तो कम हैं अनिष्ट बहुत है। जीवोंमें देवादिकोंकी रचना ना कोड़ा करने व भक्ति कराने आदिके लिए को। परन्तु लट कीड़ी कुत्ते सुअर शर श्रादि क्रिस लिग बनाए। ये नो रमणीक नहीं है सब प्रकारसे
SR No.090169
Book TitleIshwar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNijanand Maharaj
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages884
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Principle
File Size14 MB
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