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________________ पृष्ठ संख्या - . - २१० २१८ २१९ २२० संख्या भजन १८०. जिनके हिरदै प्रभु नाम नहीं १८१. जिनके हिरदै भगवान बसैं १८२. जैन नाम भज भाई रे १८३. श्री जिननाम अधार १८४. तुम अधम उधारनहार हो १८५. तुम प्रभु कहियत दीनदयाल १८६. तू जिनवर स्वामी मेरा १८७. तु ही मेरा साहिब सच्चा साई १८८. तेरी भगति बिना धिक है जीवना १८९. त्रिभुवन में नामी १९०. .हम तेरा मन झाले. ..... : . १९१. दास तिहारो हूँ १९२. देखे जिनराज आज, राजऋद्धि पाई १९३. देखो भाई ! श्री जिनराज विराज १९४. देखो ! भेक फूल लै निकस्यो १९५. मेरी वेर कहा ढील करी जी १९६. मोहि तारो हो देवाधिदेव १९७. मानुष सफल भयो आज १९८. मैं नू भावजी प्रभु चेतना १९१. मोहि तारो जिन साहिब जी २००, परमेसुर की कैसी रीत २०१. प्रभु अब हमको होहु सहाय २०२, प्रभु तुम चरन शरन लीनों २२१ २२२ २२३ २२४ २२५ २२७ २२८ २३० २३१ ७ २३२
SR No.090167
Book TitleDyanat Bhajan Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachandra Jain
PublisherJain Vidyasansthan Rajkot
Publication Year
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Poem
File Size5 MB
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