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________________ पृष्ठ संख्या २३३ : २३६ २३७ २३८ २३९ २४० २४१ २४२ २४३ संख्या भजन २०३. प्रभु ! तुम नैनन-गोचर नाहीं २०४. प्रभु तुम सुमरन ही में तारे २०५, प्रभु तेरी महिमा कहिय न जाय २०६. प्रभु तेरी महिमा किहि मुख गावै २०५, प्रभु मैं किहि विधि थुति करौं तेरी २०८. प्रभुजी मोहि फिकर अपार २०९. भजो जी भजो जिनचरनकमल को २१०. भवि ! पूजौ मन वच श्रीजिनन्द २११. भोर उठ तेरो मुख देखों जिनदेवा २१२. रे ! मन गाय लै, मन गाय लै २१३. रे मन ! भज भज दीनदयाल २१४. वीतराग नाम सुमर २१५, बंदे ! तू बंदगी न भूल २१६. बंदे तू बंदगी कर याद २१७. सच्चा साईं, तू ही मेरा प्रतिपाल २१८. सेठ सुदरसन तारनहारा २१२, हम आये हैं जिनभूप . २२०. हे जिनराजजी, मोहि दुखतें लेहु छुड़ाइ २२१. हे श्री जिनराज नीतिराजा २२२. श्री जिनदेव ! न छोड़ि हों २२३. श्री जिनराय ! मोहे भरोसो भारी उपदेशी २२४. अब समझ कही २४५ २४६ २४७ २४८ २४९ २५० २५२ २५५ २५७
SR No.090167
Book TitleDyanat Bhajan Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachandra Jain
PublisherJain Vidyasansthan Rajkot
Publication Year
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Poem
File Size5 MB
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