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________________ - -- _.. पृष्ठ संख्या १०७ १०९ संख्या भजन ८९. एक ब्रह्म तिहुँ लोक मँझार ९०. ए मेरे मीत ! निचीत कहा सोवै ९१. ऐसो सुमिरन कर मेरे भाई ९२. कर कर आतमहित रे प्रानी ९३. कर रे ! कर रे ! कर रे ! तू आतम हित कर रे ९४. कहिवे को मन सूरमा ९५. कर मन ! निज आतम चिंतन ९६. कर मन वीतराग को ध्यान ९७. कारज एक ब्रह्म ही सेती ९८. घट में परमातम ध्याइये हो ९९. चेतनजी ! तुम जोरत हो धन १००. चेतन ! तुम घेतो भाई १०१, प्राणी ! तुम तो आप सुजान हो १०२. चेतन नागर हो तुम १०३. चेतन प्राणी चेतिये हो १०४. चेतन ! मान लै बात हमारी १०५. जगत में सम्यक उत्तम भाई १०६. जानत क्यों नहिं रे १०७. जानो धन्य सो धन्य १०८. जो तैं आतमहित नहिं कीना १०९. जानौं पूरा गाता सोई ११०. तुमको कैसे सुख हँ मीत १११. तुम चेतन हो १२३
SR No.090167
Book TitleDyanat Bhajan Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachandra Jain
PublisherJain Vidyasansthan Rajkot
Publication Year
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Poem
File Size5 MB
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