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________________ पृष्ठ संख्या १२५ १रद १२७ . a . M H संख्या भजन ११२. तुम ज्ञानविभव फूली वसन्त ११३, देखे सुखी सम्यक्वान ११४. देखो भाई ! आतमराम विराजै ११५. निरविकलप जोति प्रकाश रही ११६. पायो जी सुख आतम लखकै ११७. प्राणी ! आतमरूप अनूप है ११८. प्राणी ! सोऽहं सोऽहं ध्याय हो १९९. बीतत ये दिन नीके ...26. जो तामक्षेप लिट. . .... . १२१. भवि कीजे हो आतमसंभार १२२. भम्यो जी भम्यो, संसार महावन ५२३. भाई! अब मैं ऐसा जाना १२४. भाई ! कौन कहे घर मेस १२५. भाई ! कौन धरम हम पालैं १२६, भाई ! जानो पुद्गल न्यारा रे १२७, भाई ! ब्रह्म विराजै कैसा १२८. भाई ब्रह्मज्ञान नहीं जाना रे १२९. भाई ! ज्ञान बिना दुःख पाया रे १३०, भाई ! झानी सोई कहिये १३१, भैया ! सो आतम जानो रे १३२. मगन रहु रे ! शुद्धात्म में १३३. भन मेरे ! राग भाव निवार १३४. मानुषभव पानी दियो 0 0 १४९ १५१
SR No.090167
Book TitleDyanat Bhajan Saurabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachandra Jain
PublisherJain Vidyasansthan Rajkot
Publication Year
Total Pages430
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Poem
File Size5 MB
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