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तीनों लोक, तीनों काल में साररूप यदि कुछ है तो वह मात्र आत्मा का : . अनुभव ही है ! .. . . . __ देव, धर्म, गुरु के गुणों का अनुभव-ज्ञान ही मोक्ष की प्रथम सीढ़ी है।
द्यानतराय कहते हैं कि मन, वचन और काय से जिसको आत्म-श्रद्धा हो अर्थात् जो आत्मा को जान गया वह ही मोक्ष पद पाता है।
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द्यानत भजन सौरभ