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द्रव्य संग्रह प्र. आपके पास अभी कितने द्रव्य हैं ? समनाइये ।
ज०-हमारे पास अभी छहों द्रव्य हैं-हम जीव हैं। शरीर पुद्गल द्रव्य है।
हमारे बैठने में अधर्म द्रव्य सहायक है। हमारे हाथ-पैरों को उठाने में धर्मद्रव्य सहायक है। हम आकाश में बैठे हैं। प्रति समय सुक्ष्म परिणमन में निश्चय काल कारण है तथा आज हम बीस वर्ष पुराने हो गये, यह व्यवहार काल बता रहा है।
द्वितीयोऽधिकार आस्रव आदि पदायों के कथन की प्रतिक्षा आसवबन्षणसंवरणि उमरमोक्लो सपुग्णपावा जे ।
जीवाजीवविसेसा, ते वि समासेण पभणामो ॥२८॥ अन्वयार्म
(2) जो। ( आसवबंधणसंवरणिज्जरमोपखा) आस्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा, मोक्ष । ( सपुण्णपावा ) पुण्य-पाप सहित ( सात पदार्थ)। (जीवाजीवविसेसा) जोव और अजीव द्रष्य के विशेष भेद हैं। (तेवि) उन्हें भी । ( समासेण ) संक्षेप से । (पभणामो ) आगे कहते हैं।
जो आस्त्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा और मोक्ष तथा पुण्य-पाप-थे सात पदार्थ हैं वे जोव-अजीव द्रव्य के हो विशेष भेद हैं। उन्हें भी आगे संक्षेप से कहते है।
प्र-मूल द्रव्य कितने हैं ? उ०-दो हैं.-१-जोष, २-अजीव । प्र.-भूल तस्व कितने हैं ? उ०-दो है--१-जीव, २-अजीव । प्र-तत्त्व विशेष रूप से कितने हैं ?
उ०-विशेष रूप से तस्य सात है-१-जीव, २-अजोय, ३-आरव, -न्ध, ५-संवर, ६-निर्जरा और ७-मोक्ष।