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द्रव्य संग्रह
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प्र० - जीव छोटे-बड़े शरोर के बराबर प्रमाण को धारण करने वाला कैसे है ?
० - जोव में संकोच विस्तार गुण स्वभाव से पाया जाता है । इसलिए वह अपने द्वारा कर्मोदय से प्राप्त शरोर के आकार प्रमाण को धारण करता है व्यवहारनय की अपेक्षा से ।
प्र०- उदाहरण देकर समझाइये |
उ०- जिस प्रकार एक दीपक को यदि छोटे कमरे में रखा जाय तो वह उसे प्रकाशित करेगा और यदि बहो दोपक किसो बड़े कमरे में रख दिया जाय तो वह उसे प्रकाशित करेगा । ठोक उसी प्रकार एक जीव जब चींटी का जन्म लेता है तो वह उसके शरीर में समा जाता है और जब वहो जीव हाथो का जन्म लेता है तो उसके शरीर में समा जाता है। स्पष्ट है कि जीव छोटे शरीर में पहुँचने पर उसके बराबर और बड़े शरीर में पहुंचने पर उस बड़े शरीर के बराबर हो जाता है। इसी दृष्टि से जोब को व्यवहारनय से अणुगुरु-देह प्रमाण वाला बतलाया है। समुद्घात में ऐसा नहीं होता है ।
प्र० - समुद्घात के समय ऐसा क्यों नहीं होता ?
स- कारण कि समुद्घात के समय जीव पशरीर के बाहर फैल जाता है।
प्र० - जीव असंख्यात प्रदेशो किस नय की अपेक्षा से है ? उ०- जोव निश्चयाय की अपेक्षा से असंख्यात प्रदेशी है । प्र० - समुधात किसे कहते हैं ?
उ०- मूल शरीर से सम्बन्ध छोड़े बिना आत्मप्रदेशों का तेजस व कार्मण शरीर के साथ बाहर फैल जाना समुद्घात कहलाता है । ० - समुद्षात कितने प्रकार का होता है ?
उ०- समुद्घात सात प्रकार का होता है - १ - वेदना समुद्घात, २ - कषायसमुद्घात, १ - विक्रिया - समुद्घात, ४- मारणांतिक समुद्घात, ५ - रौजस समुद्घात, ६- आहारक समुद्घात और ७ केवली समुद्घात जीव की संसारो अवस्था
पुढबिजलतेउबाऊ वणप्फदो विवि हथाव रेडंबी । दिगतिगचकुपंचक्ला तसजीवा होंति संज्ञावी ॥११॥