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मनुष्यों द्वारा पूज्य हैं, अनुभवशील हैं, बहुत काल से साधु अवस्था का पालन करते हैं और अधिक वय प्राप्त हैं। १
जैन शास्त्र 'हरिवंशपुराण' में लिखा है कि "भगवान् महावीर ने मध्य के (काशी, कौशल, कौशल्य, कुसंध्य, अश्वष्ट, त्रिगतपञ्चाल, भद्रकार, पाटच्चार, मौक, मत्स्यं, कनीय, सूरसेन एवं वृकार्थक), समुद्रतट के (कलिंग, कुरुजांगल, कैकेय, आत्रेय, कांबोज, बाल्हीक, यवनश्रुति, सिंधु, गांधार, सौवीर, सूर, भीरु, दशेरुक, वाडवान, भारद्वाज और काथतोय) और उत्तर दिशा के (तार्ण, कार्ण, प्रच्छाल आदि) देशों में बिहार कर उन्हें धर्म की और ऋजु किया था। "
भगवान् महावीर का धर्म अहिंसा प्रधान तो था ही, किन्तु उन्होंने साधुओं के लिये दिगम्बरत्व का भी उपदेश दिया था। उन्होंने स्पष्ट घोषित किया था कि जैन धर्म में दिगम्बर साधु ही निर्वाण प्राप्त कर सकता है। बिना दिगम्बर वेष धारण किये निर्वाण प्राप्त कर लेना असंभव है और उनके इस वैज्ञानिक उपदेश का आदर आबाल-वृद्ध - वनिता ने किया था ।
विदेह में जिस समय भगवान् महावीर पहुँचे तो उनका वहाँ के लोगों ने विशेष आदर किया । वैशाली में उनके शिष्यों की संख्या अधिक थी। स्वयं राजा चेटक उनका शिष्य था। अंग देश में जब भगवान् पहुंचे तो वहाँ के राजा कुणिक आजातशत्रु के साथ सारी प्रजा भगवान् की पूजा करने के लिये उमड़ पड़ी। राजा कुणिक कौशाम्बी तक महावीर स्वामी को पहुंचाने गये। कौशाम्बी नरेश ऐसे प्रतिबुद्ध हुये कि वह दिगम्बर मुनि हो गये। मगध देश में भी भगवान् महावीर का खूब बिहार हुआ था और उनका अधिक समय राजगृह में व्यतीत हुआ था। सम्राट् श्रेणिक विम्बसार भगवान् के अनन्य भक्त थे और उन्होंने धर्मप्रभावना के अनेक कार्य किये थे। श्रेणिक के अभयकुमार, वारिषेण आदि कई पुत्र दिगम्बर मुनि हो गये थे। दक्षिण भारत में जब भगवान् का विहार हुआ तो हेमाँग देश के राजा जीवंधर दिगम्बर मुनि हो गये थे। इस प्रकार भगवान् का जहाँ-जहाँ बिहार हुआ वहाँ-वहाँ दिगम्बर धर्म का प्रचार हो गया। शतानीक, उदयन आदि राजा, अभय, नंदिषेण आदि राजकुमार शालिभद्र, धन्यकुमार, प्रीतंकर आदि धनकुबेर इन्द्रभूति गौतम आदि ब्राह्मण विद्वान, विद्युच्चर आदि सदृश पतितात्मायें - अरे न जाने कौन-कौन भगवान् महावीर की शरण में आकर मुनि हो गये। ४
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१. दीघनिकाय (P.T.S.) भा. १, पृ. ४८-४९ ॥ २. हरिवंश पुराण (कलकता), पृ. १८ ।
३. भमवु. ५४-८० व ठाणा, पृ. ८९३ | ४. भमवु, पृष्ठ ९५-९६ ।
दिगम्बरत्व और दिगम्बर पुनि