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यहूदी (Jews) लोगों की प्रसिद्ध पुस्तक “ The Ascension of Isaiah” (p.32) में लिखा है
"(Those) who belive in the ascension into heaven withdrew settled on the mountain...
-They were all prophets (Saints) and they had nothing with them and were naked." I'
अर्थात् वह जो मुक्ति की प्राप्ति में श्रद्धा रखते थे एकान्त में पर्वत पर जा जमे । - वे सब सन्त थे और उनके पास कुछ नहीं था और वे नंगे थे ।
अपसल पीटर ने नंगे रहने की आवश्यकता और विशेषता को निम्न शब्दों में बड़े अच्छे ढंग पर "Clementine Homilies" में दर्शा दिया है
"For we, who have chosen the future things, in so far as we possess more goods than these, whether they he clothings, or ....any other thing possess sins, because we ought not to have anything....To all of us possessions are sins.....The deprivation of these, in whatever way it may take place is the removal of sins.
अर्थात- क्योंकि हम जिन्होंने भविष्य की चीजों को चुन लिया है, यहाँ तक कि हम उनसे ज्यादा सामान रखते हैं, चाहे वे फिर कपड़े-लत्ते हों या दूसरी कोई चीज़, पाप को रखें हुये है, क्योंकि हमें कुछ भी अपने पास नहीं रखना चाहिये। हम सबके लिये परिग्रह पाप है। जैसे भी हो वैसे इनका त्याग करना पापों को हटाना है।
दिगम्बरत्व की आवश्यकता पाप से मुक्ति पाने के लिये आवश्यक ही है। ईसाई ग्रंथकार ने इसके महत्व को खूब दर्शा दिया है। यही वजह है कि ईसाई मज़हब के मानने वाले भी सैकड़ो दिगम्बर साधु हो गुजरे है।
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९. N.J., p.6.
R. Ante Nicene Christian Library, XVII, 240 & N.J., p.7.
दिगम्बरत्व और दिगम्बर पुनि