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ईसाई मज़हब और दिगम्बर साधु
“And he stripped his clothes also, and prophesied before Samuel in like manner, and lay down naked all that day and all that night. Wherefore they said, is Saul also among the Prophets?"
"Samuel XIX, 24 "At the same time spoke the Lord, by Isaiah the son of Amoz, saying, 'Go and loose the sackcloth from off the loins, and put off thy shoe from thy foot. And he did so, walking naked and bare foot. "
-Isaiah XX, 2
ईसाई मज़हब में भी दिगम्बर का महत्व भुलाया नहीं गया है, बल्कि बड़े मार्के के शब्दों में उसका वहाँ प्रतिपादन हुआ मिलता है। इसका एक कारण हैं। जिस महानुभाव द्वारा ईसाई धर्म का प्रतिपादन हुआ था वह जैन श्रमणों के निकट शिक्षा पा चुका था।' उसने जैन धर्म की शिक्षा को ही अलंकृत भाषा में पाश्चात्य देशों में प्रचलित कर दिया। इस अवस्था में ईसाई मजहब दिगम्बरत्व के सिद्धान्त से खाली नहीं रह सकता और सचमुच बाईबिल में स्पष्ट कहा गया है कि
" और उसने अपने वस्त्र उतार डाले और सैपुयल के समक्ष ऐसी ही घोषणा की और उस सारे दिन तथा सारी रात वह नंगा रहा। इस पर उन्होंने कहा, क्या साल भी पैगम्बरों में से है ?" - सैमुयल १९/२४
उसी समय प्रभु ने अयोज के पुत्र ईसाईया से कहा- जा और अपने वस्त्र उतार डाल और अपने पैरों से जूते निकाल डाल, ..... और उसने यही किया नंगा और नंगे पैरों वह विचरने लगा। - ईसाय्या २०/२
इन उद्धरणों से यह सिद्ध है कि बाईबिल भी मुमुक्षु को दिगम्बर मुनि हो जाने का उपदेश देती है और कितने ही ईसाई साधु दिगम्बर वेष में रह भी चुके हैं। ईसाईयों के इन नंगे साधुओं में एक सेन्टमेरी (St. Marry of Egypt.) नामक साध्वी भी थी। यह मिश्र देश की सुन्दर स्त्री थी, किन्तु इसने भी कपड़े छोड़कर नग्न-वेष में ही सर्वत्र विहार किया था।
१. विको. भा. ३, पृ. १२८ ।
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२. The History of European Morals, ch. 4 & N.J., p.6.
दिगम्बरत्व और दिसम्बर मुनि
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