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अन्तिम समय में भी दिगम्बर मुनियों का सम्मान किया आर जैन मंदिरों को दान दिया था। उनके उत्तराधिकारी नरसिंह प्रथम द्वारा भी दिगम्बर पुनियों का सम्मान हुआ था। नरसिंह का प्रधानमंत्री हुल्ल दिगम्बर मुनियों का परम भक्त था। उस समय दक्षिण भारत में चामुण्डराय, गंगराज और हुल्ल दिगम्बर धर्म के महान् प्रभावक और स्तंभ समझे जाते थे।' बल्लालराय होयसाल के गुरु श्री वासपूज्य व्रती थे। राजा पनिस होयसाल के गरु अजित मनि थे। विजयनगर साम्राज्य में दिगम्बर मुनि
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना आर्य-सभ्यता और संस्कृति की रक्षा के लिये हुई थी। वह हिन्दू संगठन का एक आदर्श था। शैव, वैष्णव, जैन-सब ही कंधे से कंधा जुटाकर धर्म और देश रक्षा के कार्य में लगे हुए थे। स्वयं विजयनगर सम्राटों में हरिहर द्वितीय और राजकुमार उग दिगम्बर जैन धर्म में दीक्षित होकर दिगम्बर मुनियों के महान आश्रयदाता हुये थे " दिगम्बर मुनि श्री धर्मभूषण जी राजा देवराय के गुरु थे तथा आचार्य विद्यानन्दि ने देवराज और कृष्णराय नामक राजाओं के दरबार में वाद किया था तथा दिलंगी और कारल्ल में दिगम्बा भी की ग्या की थी। मुस्लिम काल में दिगम्बर मुनि ___मुस्लिम काल में देश असित और दुःखित हो रहा था। आर्य धर्मसंकटाकुल था। किन्तु उस पर भी हम देखते है कि प्रसिद्ध पुसलमान शासक हैदर अली ने श्रवणबेलगोल की नग्न देवमूर्ति श्री गोमट्टरुदेव के लिये कई गाँवों को जागीर भेंट की थी। उस समय श्रवणबेलगोल के जैन पठ में जैन साधु विद्याध्ययन कराते थे। दिगम्बराचार्य विशालकीर्ति ने सिकन्दर और वीरू पक्षराय के सापने वाद किया
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मैसोर के राजा और दिगम्बर मुनि
मैसोर के ओड़यरवंशी राजाओं ने दिगम्बर जैन धर्म को विशेष आश्रय दिया था और वर्तमान शासक भी जैन धर्म पर सदय है। सत्रहवीं शताब्दि में भट्टाकलंक देव नामक दिगम्बराचार्य हवल्ली जैन मठ के गरु के शिष्य और महावादी थे। उन्होंने सर्वसाधारण में वाद करके जैन धर्म की रक्षा की थी। वह संस्कृत और कन्नड़ के
१. मजैस्मा., प्रस्तावना, पृ.१३ । २. ]hid. ३. मजेस्मा..पू. १६२। ४. ADIB.P.31 ५. SSIJ.Pl.p118. ६. मजैस्मा.,पृ. १६३ ७. AR.VOL.IX.267& SI.S.P.I.p.117.
८, मजैस्मा ., पृ.१६३। (112)
दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि