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विद्वान् तथा छह भाषाओं के ज्ञाता थे। जैन रानी भैरवदेवी ने मणिपुर का नाम १ बदलकर इनकी स्मृति में 'भट्टाकलंकपुर' रखा था वहीं आजकल का भटकल है। श्री कृष्णराय और अच्युतराय राजा के सम्मुख श्री दिगम्बर मुनि नेमिचन्द्र ने बाद किया था।
पण्डाईवेडू राजा और दिगम्बर मुनि
पुण्डी (उत्तर अर्काट) के तीसरे ऋषभदेव मंदिर के विषय में कहा जाता है कि पण्डाईवेडू राजा की लड़की को भूतबाधा सताती थी। उसी समय कुछ शिकारियों के पास एक दिगम्बर मुनि ने श्री ऋषभदेव की मूर्ति देखी। पुनि जी ने वह मूर्ति उनसे ले ली। इन्हीं शिकारियों ने राजा से मुनि जी की प्रशंसा की। उस पर राजा ने मुनि जी की वन्दना को और उनसे भूतबाधा दूर करने का अनुरोध किया। मुनि जी ने लड़की की भूतबाधा दूर कर दी। राजा बहुत प्रसन्न हुआ और उसने उक्त मंदिर बनवाया। दो सौ वर्ष पहले दिगम्बर मुनि
दक्षिण भारत में दौसौ वर्ष पहले कई एक दिगम्बर मुनियों का सद्भाव था। उनमें मन्त्ररगुड़ी के पर्णकुटिवासी ऋषि प्रसिद्ध हैं। उन्होंने कई मूर्तियों और मंदिरों की प्रतिष्ठा कराई थी।" उनके अतिरिक्त संधि महामुनि और पण्डित महामुनि भी द्ध हैं। उन्होंने ग्राम में वहां के प्राह्मणों के साथ बाद किया था और जैन धर्म का डंका बजाया था। तब से वहाँ पर एक जैन धर्म विद्यापीठ स्थापित है। सचमुच दक्षिण भारत में अत्यन्त प्राचीनकाल से सिलसिलेवार दिगम्बर मुनियों का सद्भाव रहा है। प्रो. ए. एन. उपाध्याय इस विषय में लिखते हैं कि दक्षिण भारत में नियमित रूप में दिगम्बर मुनि होते आये हैं। पिछले सौ वर्षों में सिद्धय्य आदि अनेक दिगम्बर मुनि इस ओर ही गुजरे हैं, किन्तु खेद है, उनकी जीवन सम्बन्धी वार्ता उपलब्ध नहीं है।
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महाराष्ट्र देश के दिगम्बर जैन मुनि -
दक्षिण भारत की तरह ही महाराष्ट्र देश भी जैन धर्म का केन्द्र था।" वहाँ अब तक दिगम्बर जैनों को बाहुल्यता है। कोल्हापुर, बेलगाम आदि स्थान जैनों को मुख्य अस्तियाँ थी। कहते हैं कि एक बार कोल्हापुर में दिगम्बर मुनियों का एक वृहत् संघ आकर ठहरा था। राजा और रानी ने भक्तिपूर्वक उसकी बन्दना की थी। देवयोग से संघ जहाँ पर ठहरा था वहाँ आग लग गई। मुनिगण उसमें भस्म हो गये। राजा को बड़ा
१. HKI. p. 83 २. बृजेश. भा. १. पृ. १० ।
३. पजेस्मा,
, पृ. १६३ ॥ ४. दिजैडा., पृ. ८५७1
५. Ibid.p.864 दिजैडा, पृ. ८५९ ॥
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७. Jainism was specialty popular in the Southern Maratha country - IHI. p. 444 दिगम्बरत्व और दिगम्बर मुनि