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इस पर उस सखी ने कहा कि"आं ज्ञातसया, महापोहप्रवर्तितोऽयंदिगम्बर सिद्धांतः।" (ततः प्रविशतियथा निर्दिदष्टः क्षपणकवेशो दिगम्बर सिद्धांतः)
भावार्थ- मैं जान गई! यह पायामोह द्वारा प्रवर्तित दिगम्बर (जैन) सिद्धान्त है।" (क्षपणक वेष में दिगम्बर मुनि ने वहां प्रवेश किया।)
नाटक के उक्त उल्लेख से इस बात का भी समर्थन होता है कि दिगम्बर मुनि स्त्रियों के सम्मुख घरों में भी धर्मोपदेश के लिये पहुँच जाते थे।
"गोलाध्याय" नामक ज्योतिष ग्रन्थ में दिगम्बर मुनियों की दो सूर्य और दो चन्द्रादि विषयक मान्यता का उल्लेख करके उसका निरसन किया गया है। इस उल्लेख से 'गोलाध्याय के कर्ता के समय में दिगम्बर मुनियों का बाहुल्य प्रमाणित होता है। 'गोलाध्यायं के टीकाकार लक्ष्मीदास दिगम्बर सम्प्रदाय से भाव "जैनों” का प्रकट करते है और कहते है कि “जैनों में दिगम्बर प्रधान थे।"
संस्कृत साहित्य के उपयुक्त उल्लेखों से दिगम्बर मनियों के अस्तित्व और उनके निर्बाध बिहार और धर्म प्रचार का सपर्थन होता है।
१. प्रबोधचन्द्रोदय नारक, अंक-JG,XIV. PP.40-50
2. (Goladhyay 3. Verses B-10) The naked sectarians and the real affitto that two suns. two moons and two sets of slas appear alternalcly: against then allege this reasoning. I cw absurd is the nation which you have fornied or duplicate suns, moons and stars, when you see the revolution of the polar fish (Ursa Minor). 'Ihe commentator Lakshamidas agrce that the Jainas are here meant.... & remarks that they are described as naked soctrains' clc. because the class of Digambaras is a principal one among thesc pcople.
-AR Vol.. IX. p.317
दिगम्वरत्व और दिगम्बर मुनि
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