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________________ SAEKesaRRORISMERESTERRUECERESERasasekaxsasrandex खान-पान में त्रुटि करना - समय पर भोजन नहीं देना इस प्रकार अहिंसाव्रत के पांच अतिचार हैं। भावार्थ - जो घर में पशुओं को रखते हैं उन्हें कभी-कभी सताया करते हैं यह सताना ही अहिंसा व्रत में अतिचार लगाना हैं। वे पांच कहे गये हैं। १. ताड़न - डंडा, चाबुक, बेंत आदि से प्राणियों को मारना, ताड़न नामक अतिचार है। २. छेदन - कान, नाक आदि शरीर के अवयवों को परहित की विरोधिनी दृष्टि से छेदना-भेदना ये छेदन नामका अतिचार है। यहाँ शंका हो सकती है कि माता अपने बच्चों के नाक-कान में छेदन करवाती हैं, शरीर में टीका लगनादी है, तो क्या मा टोग नहीं ? इसका समाधान इस प्रकार है कि माता का लक्ष्य बच्चों के श्रृंगार सौंदर्य । की रक्षा करने का है अतः वह संसार सुख के हितार्थ हैं। और बच्चों को रोगों से शरीर की सुरक्षा का लक्ष्य होने के लिए चेचक आदि की टीका लगवाना, छेदन-भेदन में दोष नहीं है। ३. बांधना - किसी को अपने इष्ट स्थान पर जाने से रोकना उन्हें इच्छित प्रदेश में घूमने न देना अथवा रस्सी जंजीर व अन्य किसी प्रतिबन्धक पदार्थ के द्वारा शरीर और वचन पर अनुचित रोकथाम लगाना बांधना नामक अतिचार है। ४. अधिक भार लादना - किसी भी प्राणी पर उनकी सामर्थ्य से अधिक बोझा लादना । जैसे किसी पशु की चार बोरी भार बहन करने की शक्ति है उस पर चार बोरी से अधिक भार लादना इसी प्रकार नौकर-चाकर आदि से न्याय नीति से अधिक कार्य भार लेना । यह अधिक भार लादना अतिचार हैं। ५. खान-पान में त्रुटि करना- पशु-पक्षी, नौकर-चाकर, आदि के भूख-प्यास की फिकर नहीं कर पशुओं को चारा, बांटा, पानी आदि समय पर MAHATMAURTARRESTERTAINMEANISHeasaareasnearancer धर्मानन्द श्रावकाचार-२९३
SR No.090137
Book TitleDharmanand Shravakachar
Original Sutra AuthorMahavirkirti Acharya
AuthorVijayamati Mata
PublisherSakal Digambar Jain Samaj Udaipur
Publication Year
Total Pages338
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, Spiritual, & Principle
File Size6 MB
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