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sasaraEATREERESTMETRIANRSasasasareasisexsasxseases • देशव्रत का लक्षण
दिव्रत भीतर भी करे, नियम समय तक त्याग।
गली गृहादिक क्षेत्र का देशव्रत में पाग ॥४॥
अर्थ - दिव्रत में जीवन भर के लिए गमनागमन का जो प्रमाण किया था उस विशाल देश, काल को मयांदा को घड़ी, घंटा, दिन, महीनां रूप काल तथा गली, मोहल्ला, नगर रूप क्षेत्र पर्यन्त मर्यादा करके उससे बाहर जाने का त्याग करना देशव्रत है।
बैसे - मैं आज दो घण्टे तक मकान के बाहर नहीं जाऊँगा अथवा एक । माह तक इस नगर, गली, बगीचा तक गमन करूंगा।
भावार्थ - दिव्रत व्यापक होता है, देशव्रत व्याप्य होता है अर्थात् दिग्वत की मर्यादा का क्षेत्र विशाल होता है, देश व्रत की मर्यादा का क्षेत्र उसके भीतर ही होता है, बाहर नहीं ।। ४ ।।
३. इति नियमित दिग्भागे प्रवर्तते यस्ततो बहिस्तस्य। __सकलासंयम विरहाद् भवत्यहिंसाव्रतं पूर्णम् ॥ १३८ ॥ पु. सि.
अर्थ - दिगव्रत धारण करने का लाभ क्या है ? इसका समाधान यहां उद्धृत है। दिग्वती अपने मर्यादित क्षेत्र से बाहर आवागमन नहीं करता, नव कोटि से सीमा से बाहर क्षेत्र का त्यागी होने से वहाँ से उत्पन्न असंयम का वह सर्वथा त्यागी होता है। अतः उस क्षेत्र अपेक्षा वह सकल संयमी सदृश होता है ।।३।। ४. देशावधिमपि कृत्वा यो नाक्रामति सदा पुनस्त्रेधा ।
देशविरतिद्धितीयं गुणवतं तस्य जायते ।। अर्थ - समय की मर्यादा लेकर दशों दिशाओं में गमनागमन का प्रमाण करते हुए समय यापन बाले व्रती के दिग्वत में संक्षेप करने से देशव्रती कहा जाता है। जीवन भर की कृत मर्यादा में ही घंटा, घड़ी, दिन, क्षेत्र को कम कर मर्यादाबद्ध होना देशव्रत नामका दूसरा गुणव्रत कहलाता है।॥ ४ ॥ *22mAASAASAASAASA ARABALARASANAUAN
S धर्मानन्द श्रावकाचार-२४२