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RRRREARREARSREKERARMERARMERRASACREATREATURESERIES __ अर्थ - जो प्राणी मात्र का हित करने वाला है उसे सद्धर्म कहते हैं उसमें विधर्मियों ने हिंसा का प्रवेश कराकर धर्म को भी भयंकर पाप वर्धक, दुःखवर्धक कर दिया है। भगवान महावीर के सिद्धान्त को संक्षेप में रखकर उन मिथ्या मतों का मैने खण्डन किया है। समीचीन धर्म के प्रतिपादन का जो सुअवसर आज हमें मिला है वह भविष्य में मुक्ति का कारण बने, यही भावना है॥ ३० ॥
इति तृतीय अध्याय
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धमणिण्द प्रावकाचार-१४५