________________
| पुव्वं किरासि अइभत्तो । सोऊण सावगं तं समागओ तो सुओ तत्थ ॥४१॥ पत्तो सुदंसणगिहं दंसणमालिनभीरुणा तेण । नान्भुडिओन पणओ न पेहिओ नेव संलत्तो॥ ४२ ॥ चितइ तओ सुओवि हु अरिहइ एसो न ताव उवएसं । जाव न एयस्स गुरू पराइजो एयपञ्चक्खं ॥४३॥ तो भणइ भो सुदंसण ! पुव्वं तं मज्झ सासणे आसि । संपइ कस्स समीवे गहिओ अन्नारिसो धम्मो ॥४४॥ तो कयअब्भुट्ठाणो पणामपुवं सिरत्थकरकमलो । सुमरंतो गुरुनामं सुदंसणो भणइ एयं तु ॥४५॥ सिस्थिावच्चापुत्तो सीसो तेलोकनाहनेमिस्स । नीलासोउज्जाणे विहाइ सो.मज्झ धम्मगुरू ॥४६ ॥ भणइ सुओ तं मज्झवि दंसेहि भवामि जेण तस्सीओ। अहवा पराजिणिचा करेमि तं चेव नियसीसं ॥४७॥ चिंतइ सुदंसणो तो अमच्छरी एस धम्मकामो य । गुरुवयणामयसित्तो लहिही बोहिं न संदेहो ॥४८॥ इय तं घेत्तण गओ गुरुमूलं पुच्छई सुओ तत्थ । कुडिलाई पसिणाई सद्दच्छलगहणकज्जसु ।। ४९ ।। सरिसवया तह मासा तुम्हें भकखाउ कि कुलत्थी वा । धन्ननराई एसि दो दो अत्था उ पसिणाणं ॥५०॥ नाऊण य तब्भाव वागस्यिाई गुरूहि तह ताई। सन्चन्नुत्ति मणे जह सुयस्स संपच्चओ जाओ ।। ५१ ॥ पसिणाणमुत्तराई न एत्य वित्थरभयाउ भणियाई । जाणिउकामेण ददं नाएमु निरूवियल्याई ॥५२॥ सोऊण सुओ धम्म संविग्गो सूरिसायमूलंमि । सीससहस्सेण समं पन्चइओ सुद्धपरिणामो ॥५३ ॥ जाओ चोदसपुव्वी गुरूहि दिन्नमि पुचपरिवारो। विहरिउमारद्धो भूमिमडल भव्यकयबोहो ॥ ५४ ॥ अह थावच्चापुत्तो सूरी सेलम्मि पुंडरीयमि । दोमासकयाणसणो नेवाणमणुत्तरं पत्तो ॥ ५५॥ इयरोवि विहरमाणो सेलगपुरमागओ नरिंदस्स । दिक्खावसरोत्ति ठिओ सुभूमिभागंमि उज्जाणे ॥५६ ।। बुद्धो सेलगराया रज्जं दाऊण महगमयस्स । पंचहि मंतिसएहि पंथगपमुहेहि परियरिओ ॥ ५७ ॥ निक्खतो सुयविहिणा गुरुभाउयसुयमुर्णिदपयमूले । एगारस