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(देव शिल्प
१६. जहाँ वोरणा नामक तृणधा धूब होती है नहीं भूमि कौनल होती वहाँ साढ़े तीन हाथ नीचे
जल होगा। १७. जहाँ भूमि पर पैर मारने पर गम्भौर शब्द कर वहाँ साढ़े दस हाथ नीचे अत्यधिक जल होगा। १८. जिरा वृक्ष की शाखा झुककर पीले वर्ण की हो जाये वहाँ साढ़े दस हाथ नीचे जल होगा। १९. सफेद फूल युक्त कांटे रहित भटकटैया के पौधे के साढ़े दस हाथ नाचे जल होगा। २०. जहाँ भुमि पर भाप निकल रही हो अथवा धुआँ सरीखा लगे वहां सात हाथ नीचे अत्यधिक
जल होगा। २१. तृप रहित भूमि पर जहाँ तृण हो अथवा तृण सहित भूमि पर जहाँ तृण न हो वहाँ जल होगा। २२. जिस भूमि पर उत्पन्न घास या अन्न स्वयं सूख जाता हो अथवा जिस भूमि पर चिकना
अन्न पैदा हो अथवा जहाँ उत्पन्न पौधों के पत्ते पीले पड़ जाते हो यहाँ दो हाथ नीचे जल
मिलेगा। २३. जहाँ की मिट्टी चिकनी, बैठी हुई. बालुई तथा शब्द करती हुई हो वहाँ साढ़े दरा हाथ नीचे
जल होगा। २४. जहाँ अपने आप अन्न सूख जाये या जहाँ बीज न उगे वहाँ चार हाथ नीचे जल होगा। २५. जहाँ बि-: घर बनाये कीड़े रहते हैं वहाँ सवा पाँच हाथ नीचे जल होगा। २६. जहाँ गागे पैर रो दबाने पर दब जाये वहाँ सवा पाँच हाथ नीचे जल होगा। २७. जहाँ की भूमि मछली अथवा इन्द्र धनुष के आकार की हो, जहाँ बाँबी हो यहाँ साढ़े चौदह
हाथ नीचे जल होगा।
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