________________
व शिल्प
भूमिगत जल टंकी
यदि मन्दिर में भूमिगत जल टंकी का निर्माण करना आवश्यक हो तो इसे केवल ईशान, पूर्व अथवा उत्तर की दिशा में बनवायें। अन्यत्र कदापि नहीं। इसे भी मुख्य द्वार से हटकर बनायें। किसी भी स्थिति में आग्नेय में जल टंकी न बनायें नहीं भूमिगत न ओवर हैड टैंका
ओबर हैड टैंक सिर्फ नैऋत्य में बनायें। आग्नेय में कदापि नहीं। दक्षिण में भी ओवर हैड टैंक बना सकते हैं। अन्य दिशाओं में जल टंकी समाज के लिये अनिष्टकारी होगी।
पखनन समय निर्धारण
विभिन्न मासों, नक्षत्रों एवं तिथियों में क्य रखनन्द ! कापोत्यकाका फल होते हैं। विद्वानों से पूछकर इसका निर्णय करना चाहिये।
विभिन्न मासों में पखनन काफल मास फल
मास फल चैत्र कोष
आश्विन भय वैशाख धान्य
कार्तिक रोग ज्येष्ठ
मार्गशीर्ष दुख आषाढ शोक
पौर्ष कीर्ति श्रावण नाश
माध द्रव्य अग्नि भय भाद्रपद
फाल्गुन यश
विभिन्न नक्षत्रों में कूप खनन का फल रोहिणी, तीनों उत्तरा, पुष्य, अनुराधा, शतभिषा, मघा, घनिष्ठा, श्रवण इन नक्षत्रों में कूप खनन करना श्रेयस्कर है।
विभिन्न वारों में कूप खनन का फल वार
फल सोम, बुध, गुरु, शुक्र श्रेष्ठ मंगल, शनि, रवि जल सूख जाता है, अनिष्ट, मन्द जलागम