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(देव शिल्प
सोपान (सीढ़ियां) मन्दिर अथवा अन्य धर्मायतनों में बहुमंजिला निर्माण होने की स्थिति में सीढ़ियों का निर्माण आवश्यक होता है। इसी तरह प्रमुख प्रवेश द्वार पर मन्दिर में प्रवेश के लिये भी सोपान आवश्यक है। प्रवेश के सामने जो ढ़ियां बनाई जाये, उनका उतार पूर्व था उत्तर की ओर होना चाहिये। सीढ़ियों का आकार वर्गाकार या आयताकार रखना श्रेयस्कर है। इन्हें गोलाकार या त्रिकोण नहीं बनायें अन्यथा कोण करने का शेष उपना हो।
ऊपर जाने के लिए सीढ़ियां किसी भी स्थिति में ईशान, पूर्व, उत्तर एवं गध्य में नहीं बनायें। सीढ़ियां बनाने के लिये दक्षिण एवं नैऋत्य दिशाएं उत्तम हैं। पश्चिम, आग्नेय तथा वायव्य में भी सोपान का निर्माण किया जा सकता है। सीढ़ियों का चढ़ाव पूर्व से पश्चिम अथवा उत्तर से दक्षिण की तरफ ही होना चाहिये। यदि सीढ़ियों को धुमाकर लाना हो तो पूर्व या उत्तर में घूमकर प्रवेश करे।
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Praman
अलंकृत सोपान पार्श्व दृश्य