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________________ (देव शिल्प Ye यांदे उत्तर, पूर्व एवं ईशान में कचरा रखा जायेगा तो इससे समाज में मतभेद, अकालमृत्यु, मानसिक संताप, शत्रुता सरीखे दुखद घटनाक्रम होने की संभावना रहेगी। जबकि यही पात्र नैऋत्यादि दिशाओं में रखने से सद्भावना, सौहार्द, शुभ वातावरण निर्मित होगा। यह ध्यान रखें मन्दिर भीतर एवं बाहर जितना अधिक साफ सुथस एवं पवित्र होगा, समाज एवं उपासकों के लिये उतना ही अधिक यश, उन्नति, लाभ एवं वैभव की प्राप्ति होगी। . माली एवं कर्मचारी कक्ष मन्दिर का प्रयोग अधिक लोगो के द्वारा किया जाता है जत५५ उनके आवागमन व्यवहार से मन्दिर में साफ सफाई की निरंतर आवश्यकता होती है। मन्दिर के रख रखाव आदि के लिए बागवान या गाली नियुक्त करने की परम्परा है। मन्दिर में पूजा के लिये लगी पुष्पवाटिका का रख- रखाव मालो करते है। साथ ही मन्दिर का भो रख रखाव भाली अथवा अन्य कर्मचारी करते हैं। यदि गन्दिर प्रांगण) पर्याप्त बिस्तृत है तो माली जो एवं कर्मचारियों के कक्ष दक्षिण पश्चिम भाग में बनायें। इनके कक्षों के द्वार उत्तर या पूर्व की ओर ही हों तथा छत एवं फर्श का ढलान भी उत्तर, पूर्व या ईशान की तरफ हो। इनके द्वार दक्षिण या पश्चिम की ओर कदापि न रखें। . यांदे कारणवश उत्तर या पूर्वी भाग में कर्मचारी कक्ष बनाना पड़े तो इसे मुख्य दीवाल रो दूर हटकर बनाना चाहिये। पश्चिम के कम्पाउन्ड रो लगाकर यदि रोबक गृह बनायें तो सेवकगृह के पश्चिम में रिक्त स्थान छोड़ें। कार्यालय एवं सूचना पटल मन्दिर एवं सम्बन्धित सामाजिक, धार्मिक गतिविधियों के सुचारु रुपेण सम्पादन के लिए कार्यालय का निर्माण किया जाता है। इसमें धनराशि का एवं अन्य सम्पत्तियों का लेखा जोखा भी रखा जाता है। प्रमुख रुप रो तीर्थ क्षेत्रों पर मन्दिर में एक कार्यालय नितान्त आवश्यक होता है। कार्यालय का निर्माण मन्दिर परिसर के पूर्व या उत्तर में करें। अपरिहार्य स्थिति में पश्चिम में भी बना सकते हैं किन्तु कक्ष का द्वार पूर्व या उत्तर में ही रखें। कार्यकर्ता, ट्रस्टीगण इत्यादि कार्य करते समय अपना मुख उत्तर या पूर्व में रखें। ऐसा करने से कार्य सम्पादन सुचारु रूप से होता है तथा सफलता मिलती है। सूचना पटल कार्यालय की बाहरी दीवार पर लगायें। मन्दिर के प्रमुख प्रवेश द्वार के समीप भी इसे लगा सकते हैं। सूचना पटल मन्दिर की मुख्य दीवार पर इस प्रकार लगायें कि पानी की बौछार इत्यादि से सुरक्षित रहे । मन्दिर की दीवाल पर पृथक कील ठोंक कर कोई भी सूचना अथवा आमन्त्रण पत्रिका नहीं टांगना चाहिये। अन्यथा समाज में निरर्थक तनाव निर्मित हो सकता है।
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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