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(देव शिल्प
२६) ४. यदि भूमि का बढ़ाव किांचेत ईशान कोण में होवे तो मन्दिर निर्माता के वैभव एवं धर्म भावनाओं का विकास होता है।
ईशान वृद्धि भूमि
ईशान वृद्धि भूमि |
ईशान वृद्धि भूमि
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५. त्रिकोणाकृति भूमि अति अशुभ तथा मन्दिर बनाने के अयोग्य है। इस पर मन्दिर बनाने से पुत्र संतति का अभाव होता है।
'त्रिकोणाकृति भूमि
६. बैलगाड़ी के आकार की भूमि पर यदि मन्दिर निर्माण किया जाये तो यह धन हानि का कारण बनता है।
बैलगाड़ी के आकार की भूमि
७. सूप तथा पंखे के आकार की भूमि भी अशुभ है तथा इस पर बने मन्दिर से धर्मवृद्धि नहीं हो पाती वरन् बाधा होने की संभावना बनती है।
हाथ परवाकृति भूमि
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सूपाकार भूमि