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देव शिल्प
तीर्थकर मल्लिनाथ मल्लि जिन वल्लभ प्रासाद महेन्द्र प्रासाद
मल्लिनाथ जिन वल्लभ प्रासाद
महेन्द्र प्रासाद
तल का विभाग प्रासाद की वर्गाकार भूमि के १२ भाग करें। उसमें
कोण
२ भाग
१, १/२ भाग
५, १/२ भाग
१/२ भाग १/२ भाग शिखर की सकळा
प्रतिरथ के ऊपर २ क्रम चढ़ाएं (केसरी व सर्वतोभद्र ) कोण के ऊपर २ क्रम चढाएं (केसरी व सर्वतोभद्र ) भद्र के ऊपर १२ उरुश्रृंग चढ़ाएं
प्रतिरथ
भद्रार्ध कर्ण नन्दी
भद्र नन्दी
कोण
प्रस्थ
भद्र
शिखर
कुल
मानवेन्द्र प्रासाद
१८१
श्रृंग संख्या
५६
११२
१२
9
४५२
१८१
१८१
इसका निर्माण महेन्द्र प्रासाद के पूर्वोक्त मान से करें तथा उसमें प्रतिरथ के ऊपर एक एक तिलक चढ़ावें। श्रृंग संख्या तिलक संख्या
पूर्ववत्
प्रतिरथ
<
कुल १८१ कुल पाप नाशन प्रासाद निर्माण मानवेन्द्र प्रासाद के पूर्वोक्त मान से
था उसमें कोण के ऊपर एक एक तिलक चढ़ावें । श्रृंग संख्या
तिलक संख्या
पूर्ववत्
कोण
प्रतिरथ
८
४
८