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(देव शिल्प
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तीर्थकर वासुपूज्य वासुपूज्य जिन वल्लभप्रासाद
तन हा विभाग वर्गाकार गाने के २२ भाग करें। उसमें कोज
४ भाग कागदी
१भाग
भाग भद्र नदी . भाना भद्रा
२ भाग रखें।
शिखर की सजना
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कोण के ऊपर ३.प्रेम चढ़ारों : प्रतिकर्ण के ऊपर २ प्रेम चढ़ावें ; कोणेथे ऊपर त्रिकट भंग और उराक पर तिलक बहायेंB नन्दी के ऊपर निकट श्रृंग और उराक ऊपर तिलक चहावे : भद्र के ऊपर ३ सश्रृंग चढ़ावें ; प्रत्यंग
८. वढावें। श्रृंग संख्या तिलक संख्या कोर 4०८ दोनों दी पर १६ प्रतिरथ ११२ कानिन्दी भद्रन दो ८ पद पर प्रग शेिखर
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बाराव्यप्रसाद