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________________ ४४३ (देव शिल्प INE तीर्थकर वासुपूज्य वासुपूज्य जिन वल्लभप्रासाद तन हा विभाग वर्गाकार गाने के २२ भाग करें। उसमें कोज ४ भाग कागदी १भाग भाग भद्र नदी . भाना भद्रा २ भाग रखें। शिखर की सजना HIL --- - m. AL H I HEAR कोण के ऊपर ३.प्रेम चढ़ारों : प्रतिकर्ण के ऊपर २ प्रेम चढ़ावें ; कोणेथे ऊपर त्रिकट भंग और उराक पर तिलक बहायेंB नन्दी के ऊपर निकट श्रृंग और उराक ऊपर तिलक चहावे : भद्र के ऊपर ३ सश्रृंग चढ़ावें ; प्रत्यंग ८. वढावें। श्रृंग संख्या तिलक संख्या कोर 4०८ दोनों दी पर १६ प्रतिरथ ११२ कानिन्दी भद्रन दो ८ पद पर प्रग शेिखर - - MPS- MA - - -.. - - -. - - - - - - - - - बाराव्यप्रसाद
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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