________________
देव शिल्प
तीर्थकर श्रेयांस नाथ
सुकुल प्रासाद
प्रासाद की वर्गाकार भूमि का १६ भाग करें। उतने
कोण
३ गाग
प्रतिक
भद्रार्ध
३ भाग
२ भाग बनायें
इसके अंगों का निर्गम प्रसाद जितने हाथ का हो उने अंगुल रहें।
शिखर की सज्जा
कोण के ऊपर प्रतिक के ऊपर भद्र के ऊर्
श्रृंग संख्या कोण
प्रतिक
४
८
भट्ट
४
शिखर ง
फुल
श्रृंग चायं तथा १ श्रंग चढ़ायें तथा
श्रृंग चढ़ाय तथा उद्गम बनायें।
१७
१ तिलक चढायें;
तिलक चढ़ायें;
तिलक संख्या
कोण
प्रतिकर्ण
कुल
AA
४
L
१२
सुकुल प्रसाद
४४२