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________________ CATEH Hit ALLAHLI. (देव शिल्प तीर्थकर चन्द्रप्रभ चन्द्रप्रभ वल्लभप्रासाद शीतल प्रासाद तल का विभाग प्रासाद की वर्गाकार भूमि का ३२ भाग करें। उसमें से - कोण ५ भाग प्रतिकर्ण ५ भाग भद्रार्ध ५ भाग को ५"नदिका १भाग रखें। शिखर की सज्जा कोण के ऊपर ३ श्रृंग चढ़ावें (श्रीवत्स, केसरी, रायतोभद्र); उपरथ के ऊपर ३ श्रृंग चढ़ावें (श्रीवत्सर, केसरी, सर्वतोभद्र) : कोणी के ऊपर २ वत्सश्रंग चढ़ावें: नन्दिका के ऊपर २ वरसभंग चढ़ावें; भद्र के ऊपर ४ उरुश्रृंग चढ़ावें; प्रत्यंग २४ चढ़ावें। श्रृंग संख्या कोण प्रतिकर्ण १२० कोणी ६० नन्दी भद्र प्रत्यंग शिखर कुल २५३ श्रीचन्द्रप्रासाद इसका निर्माण शीतल प्रासाद के उपरोक्त गा-1 से करें तथा उसमें प्रतिकर्ण के ऊपर भो एक एक तिलक चढ़ावें। श्रृंग रांख्या लिलक संख्या पुर्ववत् २५३ प्रतिकर्ण - - - - कुल २५३ कुल चन्द्रप्रभा प्रसाद - शीतल प्रासात
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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