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(देव शिल्प)
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तीर्थकर अविगतनाथ अजित जिन वल्लभप्रासाद कामदायक प्रासाद
दाल का विभाग
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प्रासाद की वर्गाकार भूमि के १२ भाग करें। उनमें रो
कोण प्रतिकर्ण भद्रार्थ
२'भाग २भाग २ भाग रखें।
शिखर की सजा कोने के ऊपर ३क्रम (केसरी, सर्वतोभद्र, नन्दन); प्रतिकणं के ऊपर २क्रम : उतश्रृंग
८क्रा : प्रत्यंग
८ क्रम कोने पर चढ़ायें।
अजित जिन वल्लभ प्रासाद - कामदायक प्रसाद
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१०८
श्रृंग संख्या कोण પ્રતિess. भद्र प्रत्यंग शिखर
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कुल
२३७