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________________ ४२७ (देव शिल्प तीर्थंकर ऋषभनाथ ऋजिम प्रासाद कमल भूषणप्रासाद . ऋषभ जिन दलभ प्रासाद - कमलभूषण प्रसाद --07 ... तल का विभाग प्रासाद की वर्गाकार भूमि के ३२ भाग करें। उसमें कोग ३भाग प्रतिकार्य ३भाग उपरथ ३भाग भद्रा ४ भाग करें तथा नन्दिका तथा कोणिका १-१ भाग करें। शिखर की सजा कोण के ऊपर ४क्रम चढ़ावें प्रतिकर्ण के ऊपर ३ क्रम चढ़ावें उपरथ के ऊपर २क्रम चढायें नन्दियों के ऊपर २ क्रम चढ़ावे चारों दिशाओं के भद्र के ऊपर कुल २० उरुश्रृंगचढ़ावें। कोण के ऊपर, नीचे से पहला नन्दीश क्रम चढ़ावें ; कोण के ऊपर, नीचे से दूसरा नन्दशालिक क्रम चढ़ावें। कोण के ऊपर, नीचे से तीसरा' नन्दन. क्रम चढ़ावें ; कोण के ऊपर, नीचे से चौथा केसरी क्रम चढ़ावें ; उसके ऊपर एक तिलक चढ़ावें। श्रृंग संख्या तिलक संख्या कोण कोण प्रतिवर्ण २८० उपरथ १४४ नन्दी २२४ भद्र २० १६ प्रत्यंग शिखर - - - - - - - - - - - - - - - - -- -..-- १११७ कुल
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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