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दिव शिल्प
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१९. नवमंगल प्रासाद
इसका निर्माण कैलास प्रासाद की भांति करें तथा उसमें भद्र के ऊपर से एक उरुश्रृंग कम करें। स्थ के ऊपर एका एक श्रृंग चढ़ावें।
नवमंगल प्रासाद नौ अंग वाला है :- दो कर्ण, दो प्रतिकर्ण, दो रथ, दो उपरथ तथा भद्रा
२०. गंधमादन प्रासाद
इसका निर्माण नवमंगल प्रासाद की भांति करें तथा उसमें भद्र के ऊपर एक उरुश्रृंग अधिक चढ़ावें। श्रृंग संख्या
तिलक संख्या कोण ८
उपरथ प्ररथ १६ भद्र ८ रथ ८ प्रत्यंग ८ शिखर १
कुल ४९
कुल ८ गंधमादन प्रासाद नौ अंग वाला है :- दो कर्ण, दो प्रतिकर्ण, दो रथ, दो उपरथ तथा भद्रा
२१. सर्वांगसुन्दर प्रासाद
इसका निर्माण गंधमादन प्रासाद की भांति करें। उसमें भद्र के ऊपर से एक उरुश्रृंग कम करें।
उपरथ के ऊपर एक- एक उरुश्रृंग बढ़ावें। सर्वांगसुन्दर प्रासाद नौ अंग वाला है :- दो कर्ण, दो प्रतिकर्ण, दो रथ, दो उपरथ तथा भद्र।