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________________ (देव शिल्प) ६. मलय प्रासाद इसका निर्माण मन्दिर प्रासाद की मात करें तथा उसमें भद्र के रूपर एक तीसरा उरुश्रृंग चढ़ायें। श्रृंग संख्या कोण प्ररथ शिखर - - - - - - - - - - - - - - कुल २५ मलय प्रासाद पांच अंग वाला है :- दो कर्ण, दो प्रतिस्थ तथा भद्र। - - - ७. विमान प्रासाद इसका निर्माण गलय प्रासाद की भांति करें तथा उसमें भद्र के ऊपर से एक उरुश्रंग हटायें। कर्ण के दोनों तरफ एका एक प्रत्यंग चढ़ायें। प्रतिरथ के ऊपर एक- एक तिलक चढायें। श्रृंग संख्या तिलक संख्या कोण प्ररथ प्ररथ गद्र प्रत्यंग ફિશર્વર - - - - - - -- -------- कुल कुल ८ विमान प्रासाद पांच अंग वाला है :- दो कर्ण, दो प्रतिस्थ तथा भद्र । ८. विशाल प्रासाद इसका निर्माण विशाल प्रासाद की भांति करें तथा उसमें भद्र के ऊपर एक एक उरूश्रृंग अधिक चढ़ायें। विशाल प्रासाद पांच अंग वाला है :- दो कर्ण, दो प्रतिरथ तथा भद्र। श्रृंग संख्या तिलक संख्या पर प्ररथ को ८ प्ररथ ८ प्रत्यंग शिखर - - - - - - - - - - - - - - - - - कुल ३७ कुल
SR No.090130
Book TitleDevshilp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevnandi Maharaj
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages501
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size9 MB
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