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(देव शिल्प
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१६. रत्नकूट प्रासाद
. तल का विभाग
वर्गाकार प्रासाद के तलमान में १८ भाग करें। कर्ण, प्रतिस्थ, भद्रार्ध २-२ भाग, कोणी, नन्दी, दूसरी नन्दी १-१ भाग करे । भद्र के दोनों तरफ एक एक भाग को दूसरी नन्दी बनायें। बाहर की दीवार दो भाग की रखें।
शिवर की सजा शिखर की चौड़ाई १२ भाग रखें। कोण के ऊपर दो श्रृंग तथा एक तिलक चढ़ायें। कर्ण नन्दी पर दो भाग का प्रत्यंग तथा २ तिलक चढायें। प्रतिस्थ के ऊपर तीन श्रृंग तथा मंदी पर एक तिलक चढ़ायें। भद्र न्दी पर एक श्रृंग तथा एक तिलक चढ़ायें। भद्र पर चार उरुश्रृंग चढ़ायें। पहला उरुश्रृंग छह भाग, दुसरा चार भाग, तीसरा तीन भाग तथा चौथा दो भाग रखें। उरुश्रृंगों का निर्गम चौड़ाई से आधा रखें।
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श्रृंग संख्या कोण प्रत्यंग प्रतिरथ भद्रनन्दी
तिलक संख्या कोण कोणी प्ररथ नंदी १६ भद्रनन्दी ८
२४ ८ १६
शिखर
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स्नकूट प्रासाद
कुल
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४४
६५.
कुल